आपसी जंग में भुगतान फंसा, मरीजों की बढ़ी मुश्किल

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन व पीपीपी मॉडल के तहत डायलिसिस यूनिट संचालन करने वाली कम्पनी की जंग में मरीजों की जान खतरे में आ गयी है। कम्पनी ने बकाये भुगतान करने की मांग पर अड़ी है आैर कंपनी ने 17 में 14 मशीनें बंद कर दी है। यहां पर अब सिर्फ तीन मशीनों पर नौ मरीजों की डायलिसिस की जा रही है। बाकी मरीजों को वेंटिल लिस्ट डाल दिया जा रहा है। यहां निजी अस्पतालों के दलाल सक्रिय हो गये है आैर मरीजों को प्रलोभन देकर ले जा रहे है। ऐसे में गरीब मरीज परेशान है आैर जान की खतरा उठा कर वेंटिग में अपना नाम तलाश रहा है।

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केजीएमयू के नेफ्रोलॉजी विभाग मेंं पीपीपी मॉडल के तहत पीएमसी कंपनी ने वर्ष 2014 मेंं 17 डायलिसिस मशीनें लगाई थीं। उस वक्त कंपनी के साथ 10 साल का करार किया गया कि डायलिसिस के लिए कैश काउंटर पर जमा होने वाले रुपये सीधे पंजाब नेशनल बैंक के खाते में जमा होगें। महीने के अंत में कंपनी और केजीएमयू का ंिंहस्सा अलग-अलग बांट कर उनके खाते में भेज दिया जाता था। केजीएमयू में ई- हास्पीटल व्यवस्था लागू होने के बाद कैश जमा करने की यह व्यवस्था भी बदली। तब निर्णय लिया गया कि कैश काउंटर पर आनेवाला पूरा पैसा सीधे केजीएमयू के खाते में जमा होगा और केजीएमयू संबंधित कंपनी को उसका हिस्सा भुगतान करेगा।

अचानक अक्टूबर 2017 से कंपनी के हिस्से का भुगतान रोक दिया गया। इसी बीच 2018 मेंं नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. संत कुमार पांडेय ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद डायलिसिस कंपनी ने करीब दो करोड़ 35 लाख का बकाया मांगा। तो भुगतान करने से पहले केजीएमयू प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने करार की पड़ताल की। विभागीय सूत्रों की मानें तो करार में कई गंभीर खामियां मिली तो सब अचरज में रह गये हैं। इसे तत्कालीन नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष, कुलपति, कुलसचिव, सीएमएस और कंपनी के अधिकारियों इसे सुधारने के लिए कोशिश की , लेकिन नतीजा कुछ नही निकला। इस बीच वित्त नियंत्रक ने भुगतान के लिए कंपनी की ओर से दिए जाने वाले प्रपत्र को अवैध ठहराया और नये सिरे से बिल तैयार करने के निर्देश दिया।

कंपनी का कहना है कि शुरुआती दौर से अब तक गलत प्रपत्रपर किस नियम के तहत भुगतान होता रहा। इस बीच कंपनी ने एक के बाद एक 11मशीनें बंद कर दीं। छह मशीनों पर डायलिसिस चलती रही, लेकिन मंगलवार से तीन मशीनें फिर बंद कर दी गई हैं। अब सिर्फ तीन मशीन पर नौ मरीजों की डायलिसिस हो रही है। इससे मरीजो की जान पर बन आयी है।

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