लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने पीजीआई के समान वेतन की मांग पूरी न होने पर कुलसचिव राजेश राय का घेराव किया। यही नहीं आक्रोशित कर्मचारियों ने प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी भी की। उनका आरोप है कि केजीएमयू अधिकारी जानबूझ कर उनके मामले को लटकाए हैं। कर्मचारियों को उग्र होता देख अधिकारियों ने शासन में प्रदर्शन की जानकारी दी। इसके बाद शासन ने संगठन के पांच पदाधिकारियों को वार्ता के लिए आमत्रिंत किया। वार्ता में एक हफ्ते में कर्मचारियों की वेतन व अन्य समस्याओं को भी दूर करने का आश्वासन दिया है।
केजीएमयू कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह व महामंत्री प्रदीप गंगवार के नेतृत्व में दोपहर में दर्जनों कर्मचारी केजीएमयू कुलसचिव कार्यालय पहुंचे। इस दौरान गेट पर तैनात सुरक्षा गार्डो ने उन सभी को भीतर जाने से रोका। इससे कर्मचारियों का गुस्सा भड़क उठा। आक्रोशित कर्मचारियों ने कुलसचिव राजेश राय के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। केजीएमयू प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाये है। महामंत्री प्रदीप गंगवार का कहना है कि अगस्त 2016 में कर्मचारियों को पीजीआई के समान वेतन देने का आदेश जारी किया था। सातवां वेतन आयोग भी लागू हो गया। अभी तक न तो पीजीआई के बराबर वेतन मिल रहा है और न ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर भत्ते प्रदान किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों की सुस्ती से करीब 24 सौ कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर नहीं हो पा रही है।
कर्मचारियों के हंगामे की सूचना चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को दी गई। इसके बाद प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को बुलाकर वार्ता की। इसमें कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विकास सिंह, उपाध्यक्ष अनिल कुमार, संयुक्त मंत्री खालिद अख्तर, कोषाध्यक्ष उमाशंकर शामिल हुए। अध्यक्ष के मुताबिक प्रमुख सचिव से वार्ता में जल्द ही समस्या का निराकरण करने का आश्वासन दिया गया है।
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