लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग में लेप्रोस्कोपी व्हिपल सर्जरी तकनीक से छोटी आंत की शुरुआत में कैंसर यानी आब्सटेक्ट्रिव जांइडिस विद डियूडेनल कार्सीनोमा को निकाल दिया गया। सर्जरी करने वाले डा. अवनीश ने बताया कि व्हिपल तकनीक से हुई लेप्रोस्कोपी सर्जरी बेहद जटिल है आैर इसको करने में पूरी टीम को करीब बारह घंटे से ज्यादा का वक्त लगा। इस प्रकार की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी जनरल सर्जरी में पहली बार हुई है। आमतौर पर इस प्रकार की ओपन सर्जरी की जाती है। यहां पर इस जटिल सर्जरी में लगभग पचास हजार रुपये का खर्च आया, जबकि दिल्ली के निजी अस्पताल में इस तकनीक से छह से आठ लाख का खर्च आता है। विभाग प्रमुख डा. अभिनव अरुण सोनकर लेप्रोस्कोपिक तकनीक से उच्चस्तरीय जटिल सर्जरी करने पर पूरी टीम को बधाई दी है।
शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में वरिष्ठ सर्जन डा. अवनीश ने बताया कि गोरखपुर निवासी 45 वर्षीय दुर्गा प्रसाद पीलिया एंव शरीर में खुजली से परेशान थे। मरीज ने गोरखपुर में स्थानीय डाक्टरों से अपना इलाज कराया था, परन्तु मरीज को उस इलाज से आराम नहीं मिला। इसके बाद स्थानीय सर्जन द्वारा इस मरीज को कैसर की सम्भावना के कारण केजीएमयू भेज दिया गया। शुरूआती जांच में मरीज को कैंसर की सम्भावना लगी, परन्तु मरीज भर्ती होकर इलाज कराने में असहमत था। इस कारण मरीज का ओपीडी माध्यम में जांच की गई।
जांच के दौरान मरीज की सीटी स्कैन जांच करायी गयी। जांच में आब्सटेक्ट्रिव जांइडिस विद डियूडेनल कार्सीनोमा नाम के कैंसर की पुष्टि हुई। यह छोटी आंत के शुरू वाले भाग में पाया जाता है। इसके साथ मरीज को पीलिया भी थी। आमतौर पर सामान्यतः यह पेट के ऊपरी भाग 20-25 सेंटीमीटर का बड़ा चीरा लगाकर किया जाता है,जिसमें मरीज को काफी तेज दर्द होने के साथ ही अन्य दिक्कते भी होती है। यह काफी जटिल ऑपरेशन माना जाता है।
इस तकनीक से लेप्रोस्कोपी से सर्जरी करने पर अगले दिन ही मरीज चलने लगा तथा तीसरे दिन से पानी भी पीने लगा था। सर्जरी टीम में शामिल डॉ. अवनीश कुमार ने बताया कि इस विधि मे सामान्यतः 5-6 छोटे चीरे लगाए जाते है। जिसमें 10-12 एमएम के तीन और 5 एमएम के तीन चीरे लगते हैं। इस ऑपरेशन में कैंसर युक्त डयूडेनम (छोटी आंत) का पार्ट तथा उसमें लगा हुआ पैनक्रियाज (अग्नाशय) एवं पित्त की थैली एवं नली को स्टेपलर की सहायता से निकाल दिया जाता है तथा लेप्रोस्कोपी तकनीक से ही छोटी आंत को अग्नाशय, पित्त की नली एवं अमाशय से जोड़ दिया जाता है। इस सर्जरी में 10-12 घण्टे लगे।
इस सर्जरी में डॉ.एचएस पाहवा के निर्देशन में डा. अवनीश कुमार एवं टीम ने किया। उनकी टीम में डॉ. मनीष कुमार अग्रवाल, डॉ. अक्षय आनन्द, डॉ. संदीप वर्मा, डॉ. अजय पाल शामिल रहे। यह ऑपरेशन सर्जरी जनरल- के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. एए सोनकर के दिशा निर्देश एवं उच्च कोटि के उपकरण मुहैया कराने के कारण संभव हो पाया। ऑपरेशन में डॉ. अभिषेक, डॉ. अंकित, डॉ. प्रसून, डॉ. धीरेन्द्र, डॉ. अनुराग, डॉ. कलीम, डॉ. नियतांक शामिल थे। इसके अलावा निश्चेतना प्रो. रजनी कपूर, डॉ.प्रेम राज सिंह, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ. अपूर्णा, डॉ. प्रज्ञा ने दिया। सर्जरी की टीम में सिस्टर सुरभि वर्मा, ममता देवी, ओटी टेक्नीशियन रूपेश सिंह, फैजान हैदर, महेन्द्र सैनी, सुनील सोनकर एवं आशीष कुमार का सहयोग रहा। डा. अवनीश ने बताया कि सर्जरी 22 अक्टूबर को की गयी थी। मरीज अभी प् स्वस्थ्य है तथा मरीज की छुटटी तीन नवंबर को कर दी जाएगी।
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