न्यूज। ग्लूकोमा से पीड़ित मरीजों में नयी आैर अच्छी खबर है। अब ध्यान लगाने से आंख के दबाव को कम करने में मदद मिल सकती है। यह बात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के राजेन्द्र प्रसाद केन्द्र के डाक्टरों द्वारा जल्द किये गये अध्ययन में सामने आई है। यह अध्ययन एम्स में नेत्र विज्ञान के लिए ने समग्र स्वास्थ्य क्लीनिक, शारीरिक विज्ञान विभाग में फिजियोलॉजी आैर जेनेटिक्स लैब विभाग के सहयोग से किया है। अध्ययन करने वाले डाक्टरों का दावा है कि ‘विश्व में यह प्रथम अध्ययन है जो मस्तिष्क को लक्षित करके ध्यान लगाने से आंखों के दबाव को कम करने आैर रोगियों के सामान्य स्वास्थ्य दोनों में सुधार के लिए मजबूत वैज्ञानिक साक्ष्य प्रदान करता है।
ग्लूकोमा या काला मोतिया भारत में अपरिवर्तनीय दृष्टिहीनता का प्रमुख कारण है, जिससे एक करोड़ 20 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित है। नेत्र विज्ञान के लिए आरपी सेंटर, एम्स, के प्रोफेसर आैर इस अध्ययन के पहले लेखक डा.तनुज दादा ने कहा,”इंट्राओकुलर दबाव (आईओपी) को कम करना ग्लूकोमा के लिए एकमात्र सिद्ध उपचार है आैर यह वर्तमान में आंखों की बूंदों, लेजर थेरेपी या सर्जरी के जरिये हासिल किया जाता है। आंखों की बूंदें महंगी हैं आैर इसके पूरे शरीर पर दुष्प्रभाव होते हैं आैर कई मरीज़ उन्हें जीवनभर की थेरेपी के रूप में जुटाने में समक्ष नहीं होते है।””
यह अध्ययन जर्नल ऑफ ग्लूकोमा में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के तहत 90 ग्लूकोमा मरीजों का चयन किया गया आैर उन्हें दो समूहों में बांटा गया। अध्ययन के अनुसार एक समूह ने ग्लूकोमा दवाओं के साथ योग के एक प्रशिक्षक की निगरानी में 21 से अधिक दिनों तक हर सुबह 60 मिनट तक के लिए ध्यान लगाया आैर प्राणायाम किया। जबकि दूसरे समूह ने किसी ध्यान के बिना केवल दवाएं ली।
तीन सप्ताह के बाद ध्यान लगाने वाले समूह में इंट्राओकुलर प्रेशर (आंखों का प्रेशर) में महत्वपूर्ण कमी देखी गई आैर दबाव 19एमएमएचजी से 13 एमएमएचजी पर आ गया। एम्स में फिजियोलॉजी विभाग, इंटीग्रल हेल्थ क्लीनिक के प्रभारी प्रोफेसर डा.राज कुमार यादव ने कहा,”दुनिया में यह पहला अध्ययन है जो मस्तिष्क को लक्षित करके ध्यान लगाने से आंखों के दबाव को कम करने आैर रोगियों के सामान्य स्वास्थ्य दोनों में सुधार के लिए मजबूत वैज्ञानिक साक्ष्य प्रदान करता है।
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