राजधानी स्थित डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की इमरजेंसी में तैनात चिकित्सकों की लापरवाही से मंगलवार को एक मरीज की मौत हो गयी। परिजनों का आरोप है कि इमरजेंसी में ले जाने के बाद करीब 20 मिनट तक कोई इलाज नहीं हुआ अन्यथा जान बच सकती थी। बहराईच के कैसरगंज निवासी 44 वर्षीय 44 अमरेश बहादुर सिंह कैंसर के मरीज थे। जनवरी माह में टाटा कैंसर संस्थान मुंबई में सर्जरी हुई थी। चार कीमोथेरेपी कराने के लिए वहां के चिकित्सकों ने लोहिया संस्थान के चिकित्सक डा. गौरव गुप्ता के पास रिफर किया था। अमरेश बहादुर के रिश्तेदार संजय सिंह ने बताया कि मरीज की कीमोथेरेपी कराने के लिए फरवरी में संपर्क किया। कीमोथेरेपी शुरू हुई। तीसरी बार कीमोथेरेपी कराने के लिए चार अप्रैल का समय दिया गया था। मंगलवार को लोहिया अस्पताल पहुंचे।
आवश्यक जांचें कराने लोहिया संस्थान आये थे। बुधवार को कीमोथेरेपी करानी थी। इसलिए मंगलवार को उन्हें भर्ती होना था। उन्हें चिकित्सकों ने भर्ती करने में आना कानी की। इस दौरान मरीज की हालत बिगड़ी। परिजन अमरेश को लेकर लोहिया की इमरजेंसी पहुंचे। वहां स्ट्रेचर नहीं मिला। करीब 20 मिनट तक चिकित्सकों ने उन्हें नहीं देखा। संजय सिंह का आरोप है कि अगर चिकित्सक तुरन्त उपचार शुरू करते तो जान बच सकती थी।
ओपीडी के दौरान लोहिया अस्पताल की बिगली रही गुल
डा. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्साल की बिजली मंगलवार को करीब पांच घण्टे गायब रही। इस दौरान जहां ओपीडी की जांचे प्रभावित रहीं वहीं कुछ आपरेशन भी टालने पड़े।
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