डेस्क। शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने ऐसे जीन की पहचान कर ली है। इस जीन के कारण एशियाई आैर यूरोपीय मूल के लोगों में डेंगू होने के खतरे ज्यादा होते हैं। जानकारी के अनुसार डेंगू बुखार पूर्वी एशिया आैर अमेरिका के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बडी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है, लेकिन इस बीमारी के कारण बनने वाले एडिस मूल के मच्छरों के उत्तर अमेरिका एवं यूरोप में पैदा होने के कारण इस रोग के लिए जिम्मेदार विषाणु हाल में इन क्षेत्रों में भी फैल गया ।
डेंगू के विषाणु से कई तरह की बीमारी हो सकती है। इसमें डेंगू बुखार होने से लेकर डेंगू जैसे जानलेवा लक्षण पैदा होने का खतरा रहता है। प्रांस के नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च सीएनआरएसी के अनवज सकुंतभाई की अगुवाई में शोधकर्ताओं ने थाइलैंड के तीन अस्पतालों में डेंगू के विषाणु के संक्रमण की चपेट में आकर भर्ती हुए 411 मरीजों के आनुवांशिकी का अध्ययन किया।
पीएलओएस नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिसीजेज नाम की पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में दो जीनों की पहचान की गई जो रक्त वाहिका में सूजन से संबंधित थे। इनसे गंभीर डेंगू का जोखिम पैदा होता है। इसके अलावा चयापचर्य मेटाबोलिज्मी से संबंधित चार ऐसे जीनों का पता लगाया गया जो डेंगू बुखार का जोखिम पैदा करते हैं। यूरोपीय मूल के लोगों के आनुवांशिक डेटाबेस से तुलना पर पता चला कि इन रूपों में जातीय मूल के आधार पर बदलाव आते हैं।
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