लखनऊ। वर्तमान परिवेश में बैठने की शैली लोगों की सही नही होती है। ऐसे में झुककर बैठने की वजह से रीढ़ संबंधी समस्या लोगों में बढ़ती जा रही है। झुककर बैठने से कमर दर्द और सर्वाइकल बीमारी हो रही है। पहले यह बीमारी अमीर तबके के लोगों में होती थीं, पर अब गरीब व सामान्य लोग भी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. बीके ओझा ने दी।
वह रविवार को न्यूरो सर्जिकल सर्जनस सोसाइटी ऑफ इंडिया की सातवींं वार्षिक कान्फ्रेंस में सम्बोधित रहे थे।
उन्होंने कहा कि रीढ़ सम्बधी बीमारियां अब 20 से 40 वर्ष की उम्र पार करने वालों में कमर दर्द की परेशानी अधिक देखने को मिल रही है। लोग कम्प्यूटर के सामने एक ही मुद्रा में बैठे रहते हैं, जिसके कारण धीरे- धीरे स्पाइन में दिक्कत शुरु हो जाती है आैर यह बीमारी बन जाती है। अगर यह रहते इसका इलाज व सुधार नहीं किया जाए तो यह परेशानी बन सकती है।
डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव ने बताया कि बुजुर्गो में हाथों में कंपन की बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है। इसमें मरीज का हाथ में कंपन होता है। वह ठीक से कोई भी वस्तु पकड़ नहीं पाते हैं। यहां तक खाना या पानी पीने तक दिक्कत आने लगती है। इस बीमारी को पार्किंसन कहते हैं। इसका सिर्फ दवाओं से इलाज इलाज होता था, अब ऑपरेशन से भी इलाज संभव होगा। केजीएमयू में ऑपरेशन से पार्किंसन इलाज की सुविधा जल्द ही शुरू होगी।
डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव ने कहा कि दिमाग की नसों व डोपमीन नाम के हार्मोन के स्त्राव में असंतुलन से पार्किंसन की परेशानी शुरू होती है। कुछ मरीजों में दवाएं भी काम नहीं करती हैं। दक्षिण भारत के कुछ अस्पतालों में ऑपरेशन से पार्किंसन के इलाज किया जा रहा है। न्यूरो सर्जरी विभाग ने एस्टीरियो टैक्टिक मशीन लगाने का प्रस्ताव उच्च अधिकारियों को भेज दिया गया है। ऑपरेशन थिएटर में न्यूरो जनरेटर सिस्टम स्थापित किया जाएगा। करीब डेढ़ करोड़ रुपये का प्रस्ताव सुपुर्द किया गया है। जल्द ही प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। उन्होंने बताया कि पांच से छह प्रतिशत बुजुर्गों में पार्किंसन की परेशानी देखने को मिल रही है।
डॉ. सुनील कुमार सिंह ने कहा कि यदि दिमाग में ट्यूमर का किसी ने ऑपरेशन कराया है,तो पांच से 10 प्रतिशत मामलों में ट्यूमर ऑपरेशन के बाद दोबारा पनप सकते हैं। इससे बचने के लिए डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर सलाह लेते हैं। ज्यादातर ऑपरेशन के बाद रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी कराने के बाद मरीज पूरी तरह से संतुष्ट हो जाते हैं कि बीमारी दोबारा नहीं हो सकती हैं।
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