लखनऊ। आए दिन किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में रेजिडेंट और जूनियर डॉक्टरों के मारपीट की घटना से जूनियर डॉक्टरों में आक्रोश पनप रहा है। इन डॉक्टरों की रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन लगातार कोशिश कर रहा है कि शांतिपूर्वक और व्यवहार कुशलता से इलाज किया जाए, पर इनके अंदर भी कुछ बातें प्रश्न बन कर निकल रही है। इन डॉक्टरों का मानना है कि मरीज की बढ़ती संख्या के सामने इलाज करने वाले डॉक्टरों की संख्या कम है।
इसके साथ ही इलाज कराने आए मरीजों के साथ तीमारदारों की संख्या आवश्यकता से ज्यादा होती है जिन्हें नियंत्रण में नहीं होता है। मरीजों को जांच व इलाज भटकना पड़ता है। अक्सर इलाज के दौरान मरीजों के साथ VIP कल्चर हावी रहता है जिसके कारण तीमारदार इलाज में परामर्श देते रहते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत अप्रशिक्षित पैरा मेडिकल स्टाफ के कारण होती है। यह लोग जानकारी के अभाव में मरीज का सही इलाज नहीं कर पाते हैं।
इलाज के दौरान जीवन रक्षक दवाओं सामान्य दवा के साथ इलाज में प्रयोग होने वाला सामान भी नहीं होता है। बार-बार तीमारदारों के कहने पर वह लोग झल्लाने लगते हैं और बात बिगड़ने रखती है जोकि मारपीट का कारण बनती है। मारपीट में डॉक्टर ही मार खाता है इसके बावजूद पुलिस रिपोर्ट लिखने पर भी दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं होती है जिस से काम करने वाले डॉक्टरों पर हताशा हावी होती है।
एसोसिएशन का मानना है कि हड़ताल करना कोई समस्या का इलाज नहीं है उनके दिए हुए सुझावों पर अगर किसी हद तक अमल किया जाए तो मरीजों का इलाज आसान हो जाएगा।