सरकारी डाक्टरों के भरोसे है निजी डायग्नोस्टिक सेंटर व अस्पताल

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लखनऊ। परख डायग्नोस्टिक सेंटर पर अल्ट्रासाउंड करने वाले सरकारी डा. वी के ओझा पर प्राइवेट प्रैक्टिस करने की जांच शुरू कर दी गयी है। अगर देखा जाए तो सरकारी डाक्टरों को प्रैक्टिस करते हुए एक बार फिर पकड़ा जाना तो एक बानगी है। यहां तो राजधानी के निजी अस्पतालों, पैथालॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटरों में सरकारी अस्पतालों के डाक्टर चोरी छिपे लगातार प्रैक्टिस कर रहे है। अगर देखा जाए तो शहर के काफी नर्सिंग होम इन्हीं सरकारी डाक्टरों की बदौलत ही चल रहे है।

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काफी डायग्नोस्टिक व पैथालॉजी सेंटरों ने खुद ही ताला डाल दिया था –

अगर शहर के निजी डायग्नोस्टिक व पैथालॉजी सेंटरों की गहनता छानबीन की जाए तो ज्यादातर सरकारी रेडियोलॉजिस्ट की मेहरबानी से चलते मिलेंगे। कु छ वर्षो पहले जब स्वास्थ्य विभाग ने अभियान चलाया था कि काफी डायग्नोस्टिक व पैथालॉजी सेंटरों ने खुद ही ताला डाल दिया था। सूत्रों की मानें तो डायग्नोस्टिक सेंटरों पर ज्यादा सरकारी रेडियोलॉजिस्ट डाक्टर चोरी छिपे अल्ट्रासाउंड करते है। इसके अलावा कार्डियक की जांच में ईको, टीएमटी भी करते है। बताया जाता है कि सिविल अस्पताल, डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सामने डायग्नोस्टिक सेंटर में मरीजों को खुद वहंा के लिए रेफर करते है आैर इसके बाद जाकर जांच कर देते है।

इसके बाद एनेस्थीसिया डाक्टर भी अस्पतालों में सर्जरी कराने के लिए जाते है। यह सब ऑफ द रिकार्ड रहता है इसके लिए कुछ लिखा पढ़ी भी नहीं करनी पड़ती है। अगर देखा जाए तो सबसे ज्यादा सरकारी डाक्टर शहर की सीमा से जुड़े अस्पतालों में प्राइवेट प्रैक्टिस करते है। इन निजी अस्पतालों में छोटी से बड़ी सर्जरी तक हो जाती है। अगर हंगामा होता है तो तीमारदार को डरा धमका कर या भुगतान करके समझा बुझा लिया जाता है। प्राइवेट प्रैक्टिस का एक आैर नमूना यह है कि गैर जनपदों में तैनात डाक्टर जो कि लखनऊ में रहते है उनमें ज्यादातर डाक्टर ऑनकाल मौजूद रहते है।

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