तनाव के बारे में आपने अब तक यही सुना होगा की इसकी वजह से बाल गिरने , मुहांसे निकलने और झुर्रियां पड़ने से लेकर हाई ब्लड प्रेशर, हाई ग्लूकोज लेवल हार्ट सम्बन्धी समस्याएँ तथा कैंसर जैसे एक से बढ़कर एक खतरनाक बीमारियाँ हो सकती है, लेकिन क्या आप जानते हैं की क्रोनिक तनाव आपके मोती जैसे चमकते दांतों का भी सत्यानाश कर सकता है ?
बचाव कैसे करे ?
हो सकता है की आपको यह बात एक बारगी हजम न हो, लेकिन मुंबई के उपनगर अँधेरी स्थित डेंट्स डेंटल क्लीनिक के दन्त विशेषज्ञ डॉ. शांतनु जर्डिया कहते हैं की दांतों की बर्बादी के लिए हमारी आधुनिक जीवन शैली काफी हद तक जिम्मेदार हैं . हालंकि कई विशेषज्ञों का यह मानना है की दांत किटकिटाने या चबाने में अनुवांशिकता की अहम् भूमिका हो सकती है , लेकिन कुछ लोगों में इसके लिए स्ट्रेस को भी जिम्मेदार माना जाता रहा है . डॉ. जार्ड़िया कहते हैं “इसलिए दांत चबाना अगर आपको एक दांत सम्बन्धी समस्या लगती है, तो इतना जान लीजिये की इसका असली कारण आपके सेंट्रल नर्वस सिस्टम में छुपा बैठा है .”
दांत किटकिटाना भले ही कोई खतरनाक बात नहीं है, फिर भी इससे कई गंभीर समस्याएँ पैदा हो सकती है . लेकिन वो सभी समस्याएँ दांतों से जुडी हों, ऐसा नहीं है . दांत किटकिटाना न सिर्फ दांतों को, बल्कि सर और चेहरे से सम्बंधित पूरे ढांचे को प्रभावित करता है . दरअसल यह एक ऐसी मसल एक्टिविटी है, जिसका पता हमें नही चल पाता क्योंकि उस समय हम सो रहे होते हैं . यही कारण है की दांत चबाने पर हम कण्ट्रोल नहीं कर पाते हैं. मजे की बात तो यह है की ज्यादातर लोग इस स्थिति से तब तक वाकिफ नहीं हो पाते , जब तक उनका कोई दांत थोडा टूट नहीं जाता या फिर चेहरे पर दर्द महसूस नहीं होता .
तनाव वास्तविक हो या फिर महसूस किया जा रहा हो , इसके चलते शरीर में स्ट्रेस हार्मोन्स का रिसाव शुरू हो जाता है. ये हार्मोन्स एनर्जी को गतिशील करने लगते हैं . जिसके कारण मसल्स में हरकतें होने लगती हैं . दरअसल शरीर में जो एनर्जी तैयार होती है उसे किसी न किसी रूप में सक्रीय कर निकालना शरीर को जरूरी हो जाता है .
रात को दांत किटकिटाने वाले कुछ लोग तो सोते वक़्त घंटे के ४० मिनट तक दांत किटकिटाते रहते हैं, नतीजा दांतों के इनामल का तेजी से क्षरण होने लग जाता है .
समाधान क्या है ?
क्षतिग्रस्त दांतों को फिर से ठीकठाक बनाने का सबसे महंगा विकल्प है वेनियर का इस्तेमाल, लेकिन आप चाहें तो इसके सस्ते विकल्प को भी आजमा सकते हैं . बस आपको रात में सोते समय नाईट गार्ड के तौर पर ओक्लुसल स्पलिंट का इस्तेमाल करना होगा . इससे न सिर्फ रात को दांत पीसने की आदत में कमी आती है , बल्कि धीरे धीरे इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है .