लखनऊ। देश में प्रति एक लाख आबादी पर चार हजार से अधिक लोगों की मौत अचानक हार्ट अटैक होने से होती है। आंकड़ों के अनुसार अगर समय पर ऐसे लोगों का इलाज न कराये जाए , तो प्रत्येक मिनट दस प्रतिशत से अधिक जीवत रहने की संभावना कम हो जाती है। इनमें आधे से कम लोगों को सही समय पर इलाज मिल पाता है। यह जानकारी गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोंिहया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डा. ए के त्रिपाठी ने आज कम्प्रेशन ऑनली लाइफ सपोर्ट के प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही। यह कार्यक्रम इंडियन सोसायटी ऑफ एनेस्थीसियोलाजिस्ट की लखनऊ शाखा ने आयोजित किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में पैरामेडिकल, मेडिकोज के अलावा कर्मचारियों ने भाग लिया।
निदेशक डा. त्रिपाठी ने कहा कि अगर आंकड़ों को देखा जाए तो 70 प्रतिशत लोगों की हार्ट बीट घर पर ही रूक जाती है। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि मरीजों को कोल्स की जानकारी होनी चाहिए। इस प्रक्रिया मरीज के जीवित रहने की संभावना दो से तीन गुना बढ़ जाती है।
संस्थान में महाजन बंधु के हितेन्द्र महाजन ने साहसिक यात्रा के दौरान कोल्स का प्रदर्शन किया। निश्चेतना विभाग के डा. दीपक मालवीय ने कहा कि यह प्रक्रिया अति सरल आैर बिना किसी यंत्र एवं न्यूनतम प्रशिक्षण के भी की जा सकती है।
- इसमें सबसे पहले हार्ट अटैक के लक्षणों की पहचान कराना सिखाया जाता है।
- इस तरह के लक्षण लगने पर एम्बुलेंस को कॉल करना चाहिए।
- जब तक चिकित्सीय सहायता आने तक करीब पांच सेंटीमीटर दबाव वाला 120 सम्पीड़न प्रति मिनट की दर से कोल्स को शुरू कर देना चाहिए।
- कार्यक्रम में डा. राजीव लखोटिया ने कहा कि लोगों को सिर्फ जागरूक बनाना नहीं है। बल्कि जागरूक बना आैर लोगों जीवन रक्षा करना चाहिए।
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