लखनऊ। सरकारी हो या निजी अस्पताल में भर्ती मरीज संक्रमण से बचा रहे, यह बचाव चुनौती भरा होता है। अस्पताल में अलग- अलग प्रकार की बीमारियों के मरीज भर्ती होते हैं। ऐसे में बैक्टीरिया, वॉयरस, फंगस आसानी से वार्ड में फैल सकते हैं। इनमें कैंडिडा ऑरिस फंगस से जटिल व असाध्य बीमारी से पीड़ित मरीजों को बचाना बहुत मुश्किल हो सकता है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की वरिष्ठ डॉ. शीतल वर्मा ने शुक्रवार को क न्वेंशन सेंटर में इंडियन एसोसिएशन आफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट- माइक्रोकॉन 2023 के दूसरे दिन दी। विश्व रोगाणुरोधी प्रतिरोध जागरूकता सप्ताह के अवसर पर रोगाणुरोधी दवा प्रतिरोध को रोकने के लिए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में वॉक थॉन लेट्स गो ब्लू का आयोजन किया गया।
डा. वर्मा ने बताया असाध्य रोग से पीड़ित मरीज व ट्रांसप्लांट यूनिट के मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इससे मरीज दरवाजे, बेड छूने पर हैंडवॉस अवश्य प्रयोग करें। वार्ड में जाने पर मास्क का प्रयोग जरूर करना चाहिए। इससे किसी हद तक फंगस के संक्रमण से बचाव संभव है। उन्होंने बताया कैंडिडा ऑरिस सामान्य एंटीफंगल दवा से ठीक नहीं होता। इसके लिए पहचान के लिए दूसरी दवाएं मरीज को दी जाती है।
जयपुर की डॉ. भारती मेहरोत्रा ने कहा कि भर्ती श्वासन के मरीजों की हर प्रकार संक्रमण की जांच होते रहना चाहिए। इससे मरीजों को सीवियर एक्यूट रेस्पीरेट्री इलनेस से बचाया जा सकता है। इसके लिए मरीज का मल्टीप्लेक्स पीसीआर जैसी तकनीक से जांच आवश्यक है। यूएस के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के डॉ. मयंक द्विवेदी ने बताया कोविड के बाद सभी प्रकार के वायरस व बैक्टीरिया की रोकथाम के लिए कुछ टेस्ट आवश्यक होते जा रहे हैं। इन पर प्रयोग भी किया जा रहा है। जीन सीक्वेंसिंग हो रही है। समय पर सटीक जांच से बीमारी पर नियंत्रण किं या जा सकता है।
विश्व रोगाणुरोधी प्रतिरोध जागरूकता सप्ताह के अवसर पर रोगाणुरोधी दवा प्रतिरोध को रोकने के लिए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में वॉक थॉन लेट्स गो ब्लू का आयोजन किया गया।
वॉक थॉन में तीन सौ अधिक एमबीबीएस, एमडी, पैरामेडिकल आैर नर्सिंग छात्रों ने भाग लिया। वॉक थॉन केजीएमयू परिसर में विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए कन्वेंशन सेंटर पर जाकर समाप्त हुई। वॉक थॉन में डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. आरएस कुशवाहा, डा. पुनीता मलिक, डा. अमिता जैन, प्रो. विमला वेंटकेंश, डा. शीतल वर्मा आैर कई संकाय सदस्यों ने भाग लिया।