कोरोना से ठीक होकर कुछ भूल रहे हैं , विशेषज्ञ से जरूर मिले

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लखनऊ। अब कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद लोगों की यह वायरस मेमोरी लॉस कर रहा है। मानसिक स्वास्थ्य व न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉक्टर लगभग सौ से ज्यादा मरीजों में यह परेशानी देख चुके हैं।
सबसे ज्यादा संक्रमण का प्रभाव वेंटिलेटर पर भर्ती हो चुके मरीजों में हो रहा है।
केजीएमयू मानसिक स्वास्थ्य विभाग के डॉ. आर्दश त्रिपाठी के मुताबिक कोरोना वायरस सबसे पहले फेफड़ों पर हमला बोलता है। इससे मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। शरीर को जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इसका प्रभाव दिमाग पर पड़ता है। दिमाग को खून पहुंचाने वाली नसों में अड़चन आ जाती है। खून का बहाव प्रभावित होता है। सांस लेने में दिक्कत बढ़ने पर मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाता है। ठीक हो चुके मरीजों में पोस्ट कोविड दिक्कतें काफी देखने को मिल रही है। इसका असर याददाश्त पर पड़ती है। भूलने की परेशानी लेकर विभाग में 40 से ज्यादा मरीज आ चुके हैं।
डॉ. आर्दश बताते हैं कि नेगेटिव होने के महीनेभर बाद बुजुर्ग मरीजों में याददाश्त संबंधी परेशानी पनपती है। कई तीमारदारों ने बताया कि मरीज छोटी-छोटी चीजें भी भूलने लगते हैं। कोरोना संक्रमण से पहले ऐसा नहीं था। चिकित्सा विज्ञान में इसे पोस्ट कोविड सिन्ड्रोम कहा जाता है। उन्होंने बताया कि एमआरआई जांच से बीमारी की पहचान व दवाओं से इलाज मुमकिन है। कोरोना से ऊबर चुके मरीज कम से कम तीन महीने ज्यादा कसरत नहीं करना चाहिए।

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मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ला के मुताबिक दूसरी लहर में पोस्ट कोविड मरीजों में भूलने की परेशानी बढ़ी है। अब तक फोन पर 30 से ज्यादा मरीज समस्या बता चुके हैं। वह बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के दौरान कुछ मरीजों में ऑक्सीजन की काफी कमी हो जाती है। पूरे शरीर को जितनी ऑक्सीजन की जरूरत होती है, उसका 25 प्रतिशत ऑक्सीजन दिमाग इस्तेमाल करता है। पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने से दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। इस स्थिति को हाईपोक्सिक ब्रेन इंजरी कहा जाता है। मरीज को इससे उबरने में काफी वक्त लगता है।

केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आरके गर्ग के मुताबिक पोस्ट कोविड मरीजों में भूलने की बीमारी देखने को आ रही है। 20 से 25 मरीज को सलाह दी जा चुकी है। ओपीडी खुलने के बाद ऐसे मरीजों की संख्या और बढ़ने की आशंका है। चौकाने वाली बात यह है कि बुजुर्ग ही नहीं 35 से 40 साल वालों में पोस्ट कोविड मरीजों में यह दिक्कत अधिक देखने को मिल रही है। आईसीयू-वेंटिलेटर पर लंबे समय तक भर्ती रहने वालों में ही यह दिक्कत आ रही है। कोरोना संक्रमण के बाद सिरदर्द, लकवा व मिर्गी होने की आशंका बढ़ जाती है। सूंघने की क्षमता कम हो जाती है। कमजोरी, नींद की कमी भी काफी मरीजों में देखने को मिल रही है।

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