लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। अब विश्व के प्रमुख संस्थानों में केजीएमयू शामिल हो गया है, जोकि ब्रिाटेन की स्वयंसेवी संस्था क्रोकेन के साथ जुड़े हैं। क्रोकेन स्वयंसेवी समूह है, जोकि चिकित्सा के क्षेत्र में न सिर्फ शोध करता है। बल्कि हाई लेबल ट्रीटमेंट के लिए लाइन आफ ट्रीटमेंट निर्धारित करता है आैर गाइडलाइन बनाता है।
डब्ल्यूएचओ सहित विश्व स्तरीय प्रमुख संस्थान डिजीज की लाइन आफ ट्रीटमेंट के लिए क्रोकेन से संपर्क करते हैं। क्रोकेन प्रमुखता से रिसर्च के साथ ही प्रशिक्षण देना भी है।
क्रोेकेन के साथ जुड़ने पर केजीएमयू न सिर्फ चिकित्सा के क्षेत्र में हो रही अंतरराष्ट्रीय स्तर के रिसर्च में योगदान देगा, बल्कि डॉक्टरों के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी की भी भूमिका में रहेगा।
केजीएमयू कुलपति ले. जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने बताया कि केजीएमयू के लिए बहुत गर्व भरा दिन है। हम लोग बहुत जल्द ही पूरे भारत के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर देगें। क्रोकेन विश्वस्तरीय मान्यता प्राप्त संगठन है ,जो किसी भी लाभ आधारित संगठन-कंपनी से धन नहीं लेता है। उन्होंने केजीएमयू को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने में सहयोग के लिए प्रो. बलेंद्र प्रताप सिंह, प्रो. हरदीप सिंह मल्होत्रा. डॉ हिमांशु रेड्डी. प्रो. आर डी सिंह, डॉ आनंद श्रीवास्तव और डॉ नीरज की टीम को उनके योगदान के लिए बधाई दी।
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि कोक्रेन इंडिया को औपचारिक रूप से बुधवार को वर्चुअल इवेंट में लांच किया गया, इसमें मुख्य अतिथि नीति आयोग के सदस्य प्रो. विनोद पॉल थे। इस कार्यक्रम में केजीएमयू, लखनऊ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च नई दिल्ली, एम्स नई दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, सीएमसी वेल्लोर, इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज भुवनेश्वर, मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन मणिपाल, टाटा मेमोरियल सेंटर मुंबई और आईआईपीएच हैदराबाद के प्रतिनिधि शामिल हुए। प्रो. पॉल ने कहा कि आईसीएमआर के तत्वावधान में नीति आयोग अब व्यवस्थित समीक्षा और साक्ष्य आधारित दवा प्रतिक्रियाओं के आधार पर तेजी से समयबद्ध प्रतिक्रिया प्रणाली के लिए अपने संबद्ध केंद्रों पर विचार करेगा। उन्होंने लोगों को शिक्षित करने के लिए इन साक्ष्यों को स्थानीय भाषा में आम जनता तक पहुंचाने पर भी जोर दिया।