लखनऊ । संजय गांधी पीजीआई के ईएनटी सेक्शन में सुनने की क्षमता की जांच के लिए आडियोमेट्री जांच होती है, जिसके लिए केवल एक आडियोलाजिस्ट तैनात है किसी कारण यदि यह आडियोलाजिस्ट छुट्टी पर चले जाते है, तो जांच बंद हो जाती है। संस्थान प्रशासन ने वैक्लपिक व्यवस्था नहीं कर रखी है जिसके कारण मरीजों को जांच के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। विभाग ने कई बार इसके लिए संस्थान प्रशासन से पैरवी करी लेकिन संस्थान के कर्ताधर्ता इस पर ध्यान नहीं दे रहे है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्थायी तैनाती यदि नहीं संभव है तो दूसरे संस्थान चल रही आउटसोर्सिग के तहत ईएनटी को टेक्नोलाजिस्ट दिया जा सकता है लेकिन इससे भी टेक्नीशियन नहीं दिया गया।
संस्थान प्रशासन के इस रवैये का कारण मरीजों को कई चक्कर लगाना पड़ जाता है। संस्थान में दूर-दूर से विशेष जांच के लिए भेजे जाते है। विशेषज्ञों का कहना है कि ईएनटी के लिए 6 महीने की वेटिंग है । इसके पीछे बेड और ओटी की कमी बतायी जा रही है। संस्थान प्रशासन से 30 बेडण् एक ओटी और रेजीडेंट डाक्टर की मांग की जा चुकी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आप्थेलमोलाजी पहले न्यूरो सर्जरी के अंदर था, लेकिन तत्कालीन निदेशक ने इस अलग विभाग के रूप में विशेषज्ञता स्थापित कराया जिसका फायदा मरीजों को मिल रहा है । इसी तरह ईएनटी विभाग को अलग किया जाना चाहिए । ईएनटी सेक्सन में साल में लगभग 14 हजार मरीजों की ओपीडी होती है । लगभग पांच हजार माइनर और मेजर सर्जरी होती है । इतनी मरीजों की संख्या को देखते हुए कई मरीजों ने राज्यपाल से अलग विभाग स्थापित करने की मांग की है जिस पर राज्यपाल ने संस्थान से आख्या भी मांगी है।
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