लखनऊ । प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने स्वयंसिद्धा अवार्ड- 2018 से अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया। गोमती नगर के होटल हिल्टन गार्डन में अनुपमा फाउण्डेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि पुरूष और महिला एक गाड़ी के दो पहिये है, जिनकी आपस में तुलना करना निरर्थक है। दोनों पहिये जब साथ चलते है तो समाज की दिशा के साथ-साथ दशा भी बदलती है। भारत की संस्कृति सबसे पुरानी संस्कृति है जहां नारियों की भूमिका और उत्थान का अपना महत्व है। इस अवसर पर प्रो. निशि पाण्डेय, श्रीमती रेनू सिंह, डॉ. दीया बैजल, श्रीमती आभा सिंह, डॉ. जयदीप मेहरोत्रा, डॉ. उमा सिंह, डॉ. स्मृति सिंह, डॉ. शोभा कौल, श्रीमती अनिता श्रीवास्तव, श्रीमती आस्था गोस्वामी, श्रीमती दिव्या शुक्ल, श्रीमती सबीहा अहमद, डॉ. विदुला दिलीप को स्वयंसिद्धा अवार्ड-2018 देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर महिला कल्याण एवं पर्यटन मंत्री प्रो. रीता बहुगुणा जोशी के अलावा लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया, पद्मश्री श्रीमती मालिनी अवस्थी, पीएचडी चेम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इण्ड्रस्टी के सहअध्यक्ष मुकेश बहादुर सिंह, अवध नामा ग्रुप के वकार रिजवी, अनुपमा फाउण्डेशन की अध्यक्षा श्रीमती अनुपमा सिंह तथा बड़ी संख्या में विभिन्न स्वयंसेवी संगठन से जुड़ी महिलाएं उपस्थित थीं।
राज्यपाल ने कहा कि सांस्कृतिक दृष्टि से सीता, लक्ष्मी, सरस्वती जैसी अनेक देवियों को आराध्य माना जाता है। यह सिलसिला आगे बढ़ता है तो रानी लक्ष्मी बाई, दुर्गावती, जीजाबाई, बेगम हजरत महल जैसी वीरांगनाएं भी हुईं। प्रदेश की पहली राज्यपाल श्रीमती सरोजिनी नायडू, प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी, राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जैसी महिलाओं को भारत ने स्थान दिया है। उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है।
श्री नाईक ने कहा कि महिलाओं के पूर्व शानदार इतिहास होने के बावजूद सामाजिक कुरीतियों ने आधी आबादी को दबाने का प्रयास किया है। बेटियों को शिक्षित कर उनके अधिकारों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दी जाये। पूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्ण ने कहा था कि एक बेटी के शिक्षित होने से दो परिवार शिक्षित होते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की शिक्षा की ओर जितना ध्यान देना चाहिए था, उतना नहीं दिया गया है।
महिला कल्याण एवं पर्यटन मंत्री प्रो. रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि संविधान ने महिलाओं को जीवन जीने और जीवन चलाने का अधिकार दिया। व्यवहारिक तौर पर महिलाओं को बराबरी का हक मिलना चाहिये। महिलाओं को स्वयं आगे बढ़कर अपनी प्रतिभा को प्रमाणित करना होगा। पद्मश्री श्रीमती मालिनी अवस्थी ने कहा कि महिलाओं को अपना महत्व समाज को दिखाना होगा। समाज बेटियों को अपने वृद्ध मां-बाप को साथ रखने की इजाजत दे तो वृद्धाश्रम की आवश्यकता नहीं होगी। श्रीमती अवस्थी ने बेटी के जन्म से जुड़े सोहर गीत भी सुनाए।
कार्यक्रम में ज्यूरी सदस्यों को भी सम्मानित किया गया। संस्था की अध्यक्षा श्रीमती अनुपमा सिंह ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा वकार रिजवी ने धन्यवाद ज्ञापन दिय।
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