लखनऊ। थैलेसीमिया बीमारी का इलाज स्टेम सेल से इस गंभीर बीमारी का इलाज सम्भव है। अपने करीबी या किसी अन्य पैदा हुए बच्चे की नाल के स्टेम सेल की मिलान होने पर इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है। अन्यथा थैलेसीमिया के बच्चे की ब्लड ट्रांन्सफ्यूजन की आवश्यकता बहुत जल्दी जल्दी पड़ती है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में थैलीसीमिया पीडि़त बच्चों का पंजीकरण सेंटर तीन महीने ही शुरू किया गया है आैर इसमें 44 बच्चे पंजीकरण भी करा चुके है। इनका इलाज बाल रोग विभाग में होता है।
इस बारे में केजीएमयू के ब्लड ट्रांन्सफ्यूजन विभाग की प्रमुख व ब्लड बैंक प्रभारी डा. तूलिका चंद्रा बताती है कि थैलीसीमिया बच्चों को माता पिता से आनुवंशिक रूप में मिलने वाला रक्त रोग यानी कि हीमोग्लोबिन निर्माण की प्रक्रिया में गडबड़ी होना होता है। हीमोग्लोबिन में अल्फा व बीटा चेंस होते है। इस बीमारी में मात्र अल्फा चेंस रह जाते है। इस कारण लाल रक्त कणिकाएं की लाइफ कम रह जाती है। इससे प्रभावित होने पर व्यक्ति अनीमिया से ग्रस्त हो जाता है। उन्होंने बताया कि अभी तक गर्भवती महिलाओं या अन्य महिलाओं की जांच नहीं होती है।
- इसके कारण इस बीमारी का पता नहीं चल पाता है। उन्होंने बताया कि दो माइनर थैलीसीमिया के मरीजों की आपस में शादी हो जाती है तो बच्चे में मेजर थैलीसीमिया हो सकता है।
- उन्होंने बताया कि जांच के बाद उन्हें गर्भधारण करने से रोका जा सकता है।
- इस रोग की पहचान तीन महीने की उम्र के बाद ही पता चल जाता है।
- डा. चंद्रा ने बताया कि इस बीमारी का इलाज स्टेम सेल में बेहतर तरीके से होना पाया गया है।
- इसमें अपने रिश्तेदार के बच्चे की नाल या अन्य किसी बच्चे की नाल का मिलान करके बाद विशेषज्ञ डाक्टर इसे बोन मेरो या ब्लड में डाल देते है।
- इसके बाद बीमारी को ठीक किया जा सकता है।
- उन्होंने बताया कि इस स्टेम सेल से ब्लड में हीमोग्लोबिन बनने की प्रक्रिया में सुधार हो जाता है।
Mera cousin abhi 7 saal ka hai or wo bhi thailiseemiya paitent hai bohat pareshan h kya kare.
6265629966 ye mera number hai pls. Mujhe ek baar call jaroor kare.