डायरिया नियंत्रण में ORS व जिंक महत्वपूर्ण : डॉ. दिनेश

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पीएसआई इंडिया व केनव्यू के सहयोग से “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम के तहत आयोजित हुई संगोष्ठी

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लखनऊ। डायरिया रोको अभियान के तहत विश्व ओआरएस दिवस पर स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (पीएसआई इंडिया) और केनव्यू के सहयोग से मंगलवार को एक स्थानीय होटल में “डायरिया से जीवन सुरक्षा” पर संगोष्ठी आयोजित की गयी। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महानिदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि डायरिया से किसी भी बच्चे की मौत न होने पाए। डायरिया के नियंत्रण व प्रबंधन में ओआरएस और जिंक की बड़ी भूमिका है।

इस मौके पर आशा कार्यकर्ताओं, स्टाफ नर्स, कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर, एएनएम को प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया।

महानिदेशक ने कहा कि डायरिया रोकथाम और प्रबन्धन में समुदाय स्तर पर जागरूकता की भी बहुत जरूरत है । सरकार द्वारा संचालित डायरिया रोको अभियान में सहयोग के लिए पीएसआई इंडिया और केनव्यू के सहयोग से चलाये जा रहे “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम को उन्होंने सराहा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रदेश के बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के महाप्रबन्धक डॉ. मिलिंद वर्धन ने कहा कि बच्चों के डायरिया प्रबन्धन में ओआरएस एक किफायती और सर्व सुलभ उपाय है। बच्चों में डायरिया से होने वाला निर्जलीकरण ही मृत्यु का कारण बनता है। डायरिया के प्रति समुदाय स्तर पर जनजागरूकता बढ़ाने और लोगों को ओआरएस और जिंक की महत्ता को भलीभांति समझाने के लिए प्रदेश में वृहद स्तर पर 16 जून से 31 जुलाई तक डायरिया रोको अभियान चलाया जा रहा है।

अपर निदेशक परिवार कल्याण डॉ. शारदा चौधरी ने भी डायरिया प्रबन्धन में ओआरएस की भूमिका पर प्रकाश डाला और जोर दिया कि घर में अगर छोटे बच्चे हैं तो ओआरएस जरूर रखें।

पीएसआई इंडिया के स्टेट लीड अमित कुमार और सीनियर मैनेजर प्रोग्राम अनिल द्विवेदी ने बताया कि पीएसआई इंडिया और केनव्यू प्रदेश के सात जिलों फिरोजाबाद, मुरादाबाद, मथुरा, बदायूं, उन्नाव, गोंडा और श्रावस्ती में “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं।

स्कूली बच्चों के बीच विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित कर जागरूकता के सन्देश जन-जन तक पहुंचाए जा रहे हैं। अस्पतालों को भी इस अभियान से जोड़ा गया है। फ्रंट लाइन वर्कर का अभिमुखीकरण किया गया है ताकि वह समुदाय स्तर पर ही डायरिया के प्रबन्धन में बड़ी भूमिका निभा सकें और डायरिया से जुड़ीं भ्रांतियों को दूर कर सकें।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एन. बी. सिंह ने कहा कि डायरिया रोको अभियान के दौरान जिस तरह से गतिविधियाँ आयोजित की गयीं, वह सराहनीय हैं। इस तरह का जागरूकता अभियान समुदाय स्तर पर निरंतर बनाए रखना हमारी फ्रंट लाइन वर्कर की बड़ी जिम्मेदारी है। इंडियन एकेडमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स की अध्यक्ष डॉ. शालिनी भसीन ने कहा कि डायरिया नियन्त्रण में निजी क्षेत्र की भी बड़ी भूमिका है।

इस मौके पर पीएसआई इंडिया के डिप्टी डायरेक्टर समरेन्द्र बेहरा ने संस्था के विभिन्न कार्यक्रमों खासकर ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। संगोष्ठी में एनएचएम के महाप्रबन्धक-आईईसी डॉ. अम्बुज श्रीवास्तव, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक सतीश यादव, टुडियागंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी डॉ. गीतांजलि, केजीएमयू से डॉ. मोनिका और डॉ. एस. के. सिंह, यूनिसेफ, सीआईआई, आईपास, न्युट्रिशन इंटरनेशनल, पाथ, एजूकेट गर्ल्स समेत विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं और पीएसआई इंडिया के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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