कोविड-19 चिकित्सालय में तैनातअस्थाई कर्मचारियों की सेवा पुनः सेवा में ले: परिषद

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लखनऊ – राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने पत्र प्रेषित कर मुख्यमंत्री  व अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण से मांग की है कि कोविड-19 द्वितीय चरण के बहुत तेजी से बढ़ने के कारण मरीजों की संख्या में भी काफी इजाफा हो रहा है, को दर्शाते हुए पूर्व में कार्यरत अस्थाई कर्मियों को पुनः सेवा में लेने का अनुरोध किया गया है।
श्री मिश्रा ने कहा कि वर्तमान परिवेश में कोरोना के मरीजों की तेजी से बढ़ती हुई संख्या को दृष्टिगत रखते हुए सरकार ने पुनः एल-1, 2 व 3 लेवल के प्रदेश के समस्त चिकित्सालयों को स्थापित करने का निर्णय लिया जा चुका है। ऐसी परिस्थिति में विभाग में कार्यरत स्थाई कर्मियों की संख्या की कमी से सरकार व विभाग भली भांति परिचित हैं।जिसको दृष्टिगत रखते हुए पूर्व में कोविड 19 के समस्त चिकित्सालयों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व अन्य माध्यमों से अस्थायी कर्मियों की नियुक्ति हुई थी। कोरोना के मरीजों की घटती हुई संख्या को देखते हुए अधिकांश अस्पताल को पूर्व की भांति संचालित करने का आदेश निर्गत हुआ जिसमें अस्थायी कर्मियों की सेवा भी समाप्त कर दी गई, जबकी सरकार युवाओं को रोज़गार उपलब्ध कराने हेतु संकल्पित है ।
वर्तमान परिवेश में कोरोना एक बार पुनः विकराल रूप ले रहा है ,जिसपर काबू पाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता है । इसलिए पूर्व में कार्यरत समस्त अस्थाई कर्मियों की सेवाओं को पुनः बहाल करना चाहिए, जिससे मरीजों को उचित स्वास्थ्य व्यवस्था प्रदान की जा सके।
परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा व उपाध्यक्ष एवं फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने यह भी मांग की है कि कोरोना वारियर्स व उनके परिवार जो कोरोना से ग्रसित हो रहे हैं उनको प्राथमिकता पर उपचार करने की व्यवस्था होनी चाहिए। खेद प्रकट करते हुए बताया कि आज इलाहाबाद से कोरोना वारियर फार्मेसिस्ट की पत्नी पोसिटिव होने के बाद गम्भीर होने पर लखनऊ एस जी पी जी रेफर हुई, पर उचित व्यवस्था न हो पाने के कारण भर्ती नही हो पाई, जबकि सभी कंट्रोल नम्बर और उच्च अधिकारियों से संपर्क किया गया, एम्बुलेंस में ऑक्सीजन समाप्त होते देख उन्हें निजी चिकित्सालय में भर्ती कराना पड़ा , जो कदापि उचित नही है और अत्यंत शर्मनाक है, यदि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति होती है तो परिषद किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं करेगा। ज्ञातव्य है कि मरीज के पति फार्मेसिस्ट के पद पर कार्यरत हैं । चिकित्सा कर्मी के परिवारीजन हमेशा ही खतरे में रहते हैं । लेकिन अगर समय से उन्हें इलाज ना मिले तो निश्चित ही ये मामला गंभीर है ।
परिषद के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि कोविड-19 के समस्त चिकित्सालयों में कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों को उनकी पूर्व के अनुभव को दृष्टिगत रखते हुए पुनः सेवा में वापस लेने व कोरोना वारियर्स व उनके परिवार को प्राथमिकता के आधार पर इलाज मुहैया कराने हेतु निर्देशित करें, जिससे कर्मचारियों के मनोबल में कोई कमी न आने पाये ।

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