बच्चों में अच्छे संस्कार के लिए धर्म का ज्ञान आवश्यक :डॉ. कौशलेंद्र महाराज

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“अपने हक का त्याग करना ही रामायण है, और दूसरे का हक छीनना ही महाभारत है।”

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“ईश्वर पर विश्वास रखकर सभी संकटों को पार किया जा सकता है।”: डॉ. कौशलेंद्र महाराज

न्यूज। रामबाबा क्षेत्र के ग्राम अतरौरा में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भगवत कथा के तीसरे दिन बृंदावन से पधारे भागवताचार्य डॉ. कौशलेंद्र महाराज ने भक्त ध्रुव, प्रह्लाद और भरत के जीवन चरित्र का प्रेरणादायक वर्णन किया। इस दौरान कथा स्थल पर उपस्थित श्रद्धालु भक्ति रस में सराबोर होकर भाव-विभोर हो गए और श्रीमद्भगवत कथा का श्रवण किया।

भक्त ध्रुव और प्रह्लाद का चरित्र प्रेरणादायक

डॉ. कौशलेंद्र महाराज ने कहा, “भक्त प्रह्लाद और ध्रुव ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास, भक्ति और सत्य की प्रतिमूर्ति हैं। उनकी निष्ठा और तपस्या से स्वयं भगवान विष्णु को मृत्युलोक में अवतार लेना पड़ा। यह कथाएं हमें सिखाती हैं कि ईश्वर पर विश्वास रखकर सभी संकटों और चुनौतियों को पार किया जा सकता है।

डॉ. महाराज ने विशेष रूप से बच्चों के लिए धार्मिक शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “ध्रुव और प्रह्लाद की कथा बच्चों को सुनाने से उनके भीतर अच्छे भाव और संस्कारों का बीजारोपण होता है। यह कथाएं बच्चों को जीवन के सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।

भरत का त्याग: त्याग और मर्यादा का सर्वोच्च उदाहरण

भागवताचार्य ने भरत के त्याग की व्याख्या करते हुए कहा, “भरत ने अपने राजपद का त्याग करके त्याग और मर्यादा का सर्वोच्च उदाहरण प्रस्तुत किया। अपने हक का त्याग करना ही रामायण है और दूसरे का हक छीनना ही महाभारत। भरत का जीवन हमें सिखाता है कि त्याग और कर्तव्य ही सच्चा धर्म है।

अहम और ममत्व का त्याग करें

डॉ. महाराज ने कहा, “इस संसार में मन दो रस्सियों – अहमता और ममता – से बंधा हुआ है। अहमता शरीर को ‘मैं’ मानती है और ममता शरीर के संबंधियों को अपना मानती है। जब मन को संसार की ओर ले जाया जाता है तो यह मोह का कारण बनता है, और जब इसे भगवान की ओर ले जाया जाता है तो यह मुक्ति का साधन बनता है।

श्रद्धालु हुए भक्ति रस में सराबोर

कथा के समापन पर आरती और प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य यजमान शिव कुमार त्रिपाठी एडवोकेट, श्रीमती शशि त्रिपाठी, और परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित रहे। श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से कथा का आनंद लिया और भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की।
संदेश: “धर्म, भक्ति और त्याग से जीवन को सार्थक बनाएं। प्रभु पर विश्वास रखें और कठिनाइयों में धैर्य और भक्ति से आगे बढ़ें।

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