लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कोविड-19 हॉस्पिटल में अब तक 5000 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीजों का सफल इलाज करके डिस्चार्ज किया जा चुका है। इसके साथ ही अब तक लगभग 18 लाख मरीजों की आरटी पीसीआर जांच की जा चुकी है। केजीएमयू में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए 988 बिस्तरों की क्षमता है। प्रदेश के किसी भी कोविड-19 अस्पताल में इतने बिस्तरों की क्षमता नहीं है।
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर सिंह ने बताया कि केजीएमयू कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से ही संक्रमण के निदान और उपचार में लगातार योगदान प्रदान कर रहा है। इसके साथ ही रोगी देखभाल के लिए आवश्यक सभी सुविधाओं का विस्तार कर रहा है।
उन्होंने बताया कि केजीएमयू में अब तक लगभग 18 लाख आरटी पीसीआर परीक्षण किए गए हैं। डॉ. सिंह का कहना है कि हम परीक्षणों की अपनी क्षमता में लगातार वृद्धि की है।
उन्होंने बताया कि केजीएमयू से से अब तक सफल इलाज के बाद 5000 से अधिक कोविड रोगियों को छुट्टी दे दी गई है। हमारे विश्वविद्यालय में लगभग 40 हजार कोविड वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है।
प्रदेश सरकार के निर्णय के निर्देशानुसार केजीएमयू को कोविड अस्पताल में बदल दिया गया है। डॉक्टर सुधीर ने बताया कि अधिकतर बेड कोविड रोगियों के लिए आरक्षित हैं। अभी हम 988 बिस्तरों की क्षमता वाला कोविड अस्पताल चला रहे हैं। यह संख्या राज्य में संचलित समस्त कोविड अस्पतालों में सर्वाधिक है। म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के अब तक 200 से ज्यादा मरीज भर्ती हो चुके हैं।
केजीएमयू के वरिष्ठ प्रवक्ता और इमरजेंसी ट्रामा सेंटर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर संदीप तिवारी ने कहा कि केजीएमयू द्वारा कोविड सेवाओं के साथ, विभिन्न नान कोविड सेवाएं जैसे ट्रॉमा और आपातकालीन सर्जरी, प्रसूति सुविधाएं, कार्डियोलॉजी, डायलिसिस, नियोनेटोलॉजी और ऑन्कोलॉजी भी जारी हैं, लेकिन हम नान कोविड चिकित्सा आपात स्थितियों को समायोजित करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि अधिकांश बेड कोविड मरीजों के लिए बन गये हैं।
चूंकि अन्य चिकित्सा संस्थान में पूरी तरह से कोविड अस्पताल की सुविधाएं नहीं हैं। इन संस्थानों को केजीएमयू पर बोझ कम करने के लिए अपनी पूरी क्षमता के साथ अपनी आपातकालीन नान कोविड सुविधाएं चलानी चाहिए।