kgmu : लेजर तकनीक से RCT करने वाला प्रदेश का प्रथम डेंटल यूनिट

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लेजर तकनीक आरसीटी करने वाला प्रदेश का पहला संस्थान
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के दंत चिकित्सा संकाय ने लेज़र-असिस्टेड रूट कैनाल उपचार शुरू किया है, जो सामान्य तरीकों की तुलना में तेज़, बेहतर और कम दर्दनाक है। दावा है कि केजीएमयू यह इलाज प्रदान करने वाला उत्तर प्रदेश का पहला सरकारी चिकित्सा संस्थान है।

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दंत संकाय के कज़र्वेटिव डेंटिस्ट्री विभाग के प्रो. राकेश कुमार यादव ने कहा कि इस तकनीक से एक ही सत्र में गंभीर रूप से सड़े हुए दांतों की पूरी तरह से सफाई और कीटाणुशोधन संभव हो गया है। इसके साथ ही दांतों की प्राकृतिक संरचना को भी संरक्षित रखने में मदद मिली है। उन्होंने बताया कि पारंपरिक आरसीटी संक्रमित पल्प को हटाकर खाली जगह को भर देता है, जिससे अक्सर दांत बेकार होने लगता है, लेकिन लेज़र विधि उस जगह को ठीक से कीटाणुरहित कर सकती है और कभी-कभी प्राकृतिक पल्प को भी बरकरार रख सकती है, जिससे दांत जीवित और मज़बूत रहता है। यह तकनीक कास्मेटिक में स्माइल लाइन बचाने में मददगार होती है।

डा. यादव ने बताया कि केजीएमयू में लेजर तकनीक से लगभग दो हजार से ज्यादा मरीजों की आरसीटी व अन्य दांतों का इलाज किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि ज़्यादातर इलाज में केवल लोकल एनेस्थीसिया की आवश्यकता होती है और लेज़र की सटीकता के कारण टांके लगाने की ज़रूरत शायद ही कभी पड़ती है। डा. यादव ने बताया कि डेंटल लेज़रों का उपयोग से बिना टांके के जल्दी ठीक होना, जबड़े के दर्द से राहत जैसे उपचारों के लिए विभिन्न लेज़रों का उपयोग करता है और लेज़र डेंटल तकनीक के विस्तार के लिए प्रशिक्षण दे रहा है।

ये लेज़र जबड़े के दर्द के इलाज और अक्सर तंबाकू चबाने के कारण मुँह खोलने में परेशानी वाले लोगों की मदद के लिए विशेष रूप से उपयोगी हैं। लेज़र तक नीक में लेज़र थेरेपी से ऊतकों को ठीक करने और दर्द को कम करने में मदद करता है। प्रो. यादव ने कहा कि लेज़र का उपयोग रूट कैनाल के अलावा बढ़े हुए मसूड़ों को ट्रिम करने और पाइजेनिक ग्रैनुलोमा जैसे छोटे घावों को हटाने जैसी छोटी-मोटी मुँह की सर्जरी लेज़र तकनीक का उपयोग करके की जाती हैं। ये प्रक्रियाएँ न्यूनतम दर्द के साथ सात दिनों के भीतर तेज़ी से ठीक होने के कारण रक्तहीन ऑपरेशन में सहायक होती हैं।

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