लखनऊ – हार्ट से जुड़ी बीमारी में पैथालॉजिकल जांच में नया बदलाव हो रहा है। एंजियोप्लास्टी करने से पहले ट्राप -टी की जांच अावश्यक हो जाती है आैर यह जांच हार्ट अटैक के अलावा हार्ट की मांसपेशियों या अन्य कोई बदलाव में सटीक जानकारी देती है आैर इससे लाइन आफ ट्रीटमेंट तय हो जाता है। यह जानकारी यूएस से आये डा. उमेश ने स्टेमी इंडिया तथा कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया, एसोसिएशन ऑफ़ फिजिशियन्स ऑफ़ इंडिया और स्टेंट-सेव अ लाइफ पहल के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय’स्टेमी-इंडिया 2018″सम्मलेन में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि ट्राप टी से हार्ट अटैक या कार्डियक की किसी भी बीमारी के बारे में जानकारी मिल जाती है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही लाइन आफ ट्रीटमेंट तय हो जाता है। उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक यह दिक्कत होने पर ईसीजी भी रिपोर्ट का विशेष ध्यान रखा जाता है । इसके बाद ही एंजियाप्लास्टी करने का निर्णय लिया जाता है। उन्होंने बताया कि पहले ट्रापटी की जांच में छह घंटे से ज्यादा का वक्त लगता था। अब एक घंटे में जांच रिपोर्ट आ जाती है।
केजीएमयू के लॉरी कार्डियोलॉजी के डा. अक्षय प्रधान ने कहा कि आधुनिक लाइफ स्टाइल और बढ़ता तनाव युवा वर्ग भी हार्ट की बीमारियों की चपेट में ले रहा है। पहले जहां पचास वर्ष के बाद ही हार्ट अटैक आशंका होती था, वहीं अब 20 से 30 साल के युवाओं को भी दिल का दौरा पड़ जाता है। उन्होंने बताया कि पश्चिमी देशों की तुलना में इंडियन 10 साल पहले दिल की बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं। 20 से 30 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से पीड़ित मरीज इलाज का इलाज करा रहे हैं। युवाओं में अनियमित दिनचर्या, सिगरेट व तंबाकू की लत उनको हार्ट अटैक का शिकार बना रही हैं।
डा. प्रधान ने कहा कि अगर हार्ट बीट कम होने लगे तो इसे हल्के में न लें। यह हार्ट में ब्लाकेज के लक्षण हो सकते हैं। इसे हार्ट अटैक का ातरा बढ़ सकता है। यह जानकारी केजीएमयू के डा. अक्षय प्रधान ने दी। उन्होंने बताया कि सामान्य इंसान का दिल एक मिनट में 60 से 100 बार धड़कता है। अगर यदि यह धड़कन 40-60 के बीच हो जाये तो हो सकता हार्ट में ब्लाकेज संभावना हो सकती है।
डॉ. प्रवेश विश्वकर्मा ने बताया कि अगर आप तबाकू उत्पाद का प्रयोग करते हैं तो तत्काल बंद कर दे, जरूरी हो तो शराब एक पैग से अधिक नहीं, लगभग आधा घंटा तक नियमित योग करें, तला भूना, चिकनाई युक्त भोजन त्याग दे, इसके अलावा अगर आप डायबिटिक, बीपी व थायराइड आदि के रोगी हैं तो दवाओं की डोज का क्रम न टूटने दे, क्योंकि बीच बीच में दवा छोड़ने से तत्कालीन नुकसान भले ही न महसूस होते हों, मगर हार्ट को नुकसान पहुंचाते है।
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