होली में लापरवाही पड़ सकती है महंगी, ऐसे रखें सेहत का खास ख्याल 

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Photo Source: Pink Column

संवाददाता, लखनऊ  –  रंगों के त्योहार होली की बहार है। हर तरफ उल्लास का माहौल है। बाजार, रंग, गुलाल व खाने-पीने की चीजों से सज गया है लेकिन आप केमिकल वाले रंगों से बचें। यह रंग आपकी होली को बेरंग कर सकते हैं। विशेषज्ञों की सलाह है कि होली खेलने के आधे घंटे पहले अपने शरीर के खुले हिस्सों पर कोल्ड क्रीम, वैसलीन या तेल लगाएं। सरसों तेल, ऑलिव ऑयल या नारियल तेल लगाने से त्वचा पर रंगों की पकड़ हल्की हो जाती है। इससे रंग आसानी से निकल जाता है। रंगों से नाखूनों को बचाने के लिए उन पर नेल पॉलिश लगा लें। हो सके तो रंग खेलने से पहले नाखून काट लें।

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हल्के रंग एवं महीन कपड़ों से बचें  –

होली में पानी का ज्यादा प्रयोग होता है। इसलिए होली के दिन या उसके आसपास सफेद या हल्के रंग के कपड़े इस्तेमाल करने से बचें। महिलाएं सोने के आभूषण पहनकर होली न खेलें। कारण, होली में आभूषण गिरने, चोरी होने व खराब होने की डर रहता है। होली खेलने से पहले अपने बालों में तेल डाल लें। अपने बालों को खुला न छोड़ें। उसे ढककर रखें।

आंखों का रखें विशेष ख्याल –

कई बार होली खेलते समय रंग आंखों में चला जाता है। रंग में ऐसे केमिकल्स होते हैं जो आंखों के लिए हानिकारक होते हैं। आंख में एलर्जी करते हैं। कई बार एलर्जी इतनी अधिक होती है कि उससे आंख में चुभन होने लगती है। आंख में सूजन आ जाती है एवं आंख खोलने तक में परेशानी होने लगती है। नेत्ररोग विशेषज्ञ ने बताया कि होली पर आंख में रंग जाने की घटना काफी बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में आंख को बार-बार साफ पानी से धोना चाहिए। हल्की समस्या में गुलाब जल डाला जा सकता है। गुलाल में केमिकल्स होने के साथ-साथ कई बार पिसा हुआ कांच भी मिला होता है जो आंख की कंजक्टाईवा एवं कॉर्निया पर घाव (कॉर्नियल अल्सर) कर देता है जिसमें आंख में तेज दर्द होता है। पानी आने लगता है। आंख लाल हो जाती है, चिपकने लगती है। चुभन होने लगती है। एेसा होने पर आंख को तुरंत बार-बार साफ पानी से धोना चाहिए।

रंगों से कैंसर तक का खतरा  –

हरे रंगों में कापर सल्फेट, काले रंग में लेड आक्साइड, सिल्वर रंग में एल्युमिनियम ब्रोमाइड तथा लाल रंग में मर्करी सल्फेट का इस्तेमाल किया जाता है। इससे स्किन का कैंसर हो सकता है। ग्रीन गुलाल के लिए मिलाये जाने वाले कॉपर सल्फेट के कारण आंखों में एलर्जी, जलन, और ब्लांइडनेस की शिकायत हो सकती है। ग्लीटर गुलाल में एल्युमिनियम ब्रोमाइड मिलाया जाता है जो कैंसर उत्पन्न कर सकता है। इनके कारण मुंह पर मुहांसे एवं एलर्जी हो जाती है तथा त्वचा के कैंसर होने का डर रहता है। ब्लू गुलाल में परशियन ब्लू होता है जो स्कीन में एलर्जी और इन्फेक्शन पैदा कर सकता है। अक्सर सूखे गुलाल में एस्बेस्टस मिलाया जाता है जिससे अस्थमा, त्वचा में इन्फेक्शन और आंखों में जलन की शिकायत हो सकती है। गीले रंगों में आमतौर पर जेनशियन वायॉलेट मिलाया जाता है जिससे स्कीन का रंग प्रभावित हो सकता है और डर्मेटाइटिस की शिकायत हो सकती है।

यह भी हैं सुझाव –

होली में रंग से शरीर पर होने वाली दुष्प्रभाव को कम करने के लिए होम्योपैथ के वरिष्ठï चिकित्सक डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने कई सुझाव दिये। रंग छुड़ाने के लिए उबटन का प्रयोग करना चाहिए। रंग छुड़ाने के लिए बार-बार साबुन न रगड़े। यदि त्वचा खुजली के साथ पानी निकले तो साफ पानी से धुलें। आंख में रंग पड़ जाये तो रगड़े नहीं बल्कि साफ पानी से धोएं। रंग खेलते समय सिर पर टोपी जरूर लगाएं एवं पूरे आस्तीन के कपड़े पहने। गीले कपड़े ज्यादा देर न पहनें। बाजार के बजाय घर की बनी चीजों का प्रयोग करें, ड्राई फ्रूड्स का अधिक इस्तेमाल करें।

यहां करें संपर्क  –

सीएमओ कार्यालय कंट्रोल रूम इमरजेंसी नंबर- 0522- 2622080
केजीएमयू प्लॉस्टिक सर्जरी विभाग – 9415200444,
ट्रामा सेंटर, पीआरओ नंबर – 9453004209 , 0522- 2258425
बलरामपुर अस्पताल इमरजेंसी नंबर- 0522- 2624040
सिविल अस्पताल इमरजेंसी नंबर – 0522- 2239007
लोहिया अस्पताल इमरजेंसी नंबर – 8765677002, 9415066559
लोकबंधु अस्पताल इमरजेंसी नंबर – 9936655042
आरएलबी अस्पताल इमरजेंसी नंबर – 0522- 2661370
बीआरडी अस्पताल इमरजेंसी नंबर – 9235650284

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