कुछ वर्षों पहले तक हमारे घर-घर में, गॉंवों तथा छतों में बड़ी संख्या में गौरैया दिखायी देती थी। सुबह से ही चिड़ियों का चहकना शुरू हो जाता था परन्तु विगत कुछ वर्षों में गौरैया की संख्या में काफी कमी आई है। इसका मुख्य कारण शहरीकरण लाइफ, कल्चर तथा लोगो की जीवन शैली में बदलाव है। जहॉं पहले घरों में रौशनदान, अटारी, टीन की छतें आदि बनाई जाती थी जिनमें गौरैया अपना घोसला बनाती थी, परन्तु जीवनशैली में बदलाव के कारण यह प्रजाति विलुप्त होती जा रही है तथा शहरों के बाहर खुले स्थल, बाग-बगीचों का कम होना एवं बढ़ती आबादी, शहरीकरण तथा वाहन प्रदूषण के कारण गौरैया की संख्या में कमी होती जा रही है।
इसी उद्देश्य से 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस क अवसर पर प्राणि उद्यान में गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूकता कार्यक्रम किया जायेगा। उल्लेख करना है कि गौरैया के महत्व को देखते हुए दिल्ली सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्ष पहले गौरैया को दिल्ली का राजकीय पक्षी भी घोषित किया गया है। गौरैया का संरक्षण मनुष्य के हित से भी जुड़ी हुई है। गौरैया हमारे घरों के आस-पास कीट-पतंगों को खाकर उनकी संख्या सीमित करती है तथा पर्यावरण को शुद्ध करती है। इस प्रकार हमें गौरैया हमें कीट-पतंगों से होने वाली बीमारियों से भी बचाव करती हैं। साथ ही फसलों को नुकसान पहॅुंचान वाले कीट-पतंगों को खाकर उनकी संख्या सीमित करने के कारण फसलों की उत्पादकता को बढ़ाती हैं।
गौरैया को बचाने एवं उनकी संख्या बढ़ाने हेतु सुझाव-
- गर्मी के दिनों में अपने घर की छत पर एक पानी का पात्र अवश्य रखें ताकि प्यासे पक्षी अपनी प्यास बुझा सकें।
- जितना सम्भव हो सके गौरैया के खाने के लिए अनाज छतों पर, पार्कों में एवं आस-पास के खाली स्थानों पर रखें ताकि उनको आसानी से खाने के लिए दाना उपलब्ध हो सके।
- बुद्धिमानी से कीटनाशक का प्रयोग करें। ये कीटनाशक कई मायनों में हानिकारक भी होते हैं।
- अपने वाहन को प्रदूषण मुक्त रखें।