लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में बने न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती के लिए मरीजों को 24 से 48 घंटे तक की वेंटिग हो गयी ंहै। बेहोश मरीज में स्ट्रेचर पर पड़े रहते है, उनकी बात भी सुनने वाला कोई डाक्टर वहां पर नहीं है। तीमारदारों का आरोप है कि ट्रॉमा प्रशासन से भर्ती करने की फरियाद की, लेकिन कोई कार्रवाई नही हो पायी। केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि न्यूरोलॉजी विभाग में बिस्तर फुल होने पर उन्हें मेडिसिन विभाग में शिफ्ट कराया जाता है।
बताते चले कि ट्रॉमा सेंटर में करीब तीन महीने पहले छह बिस्तर की न्यूरोलॉजी इमरजेंसी यूनिट शुरू हुई। इससे पहले ट्रॉमा में आने वाले मरीजों को दूसरे तल पर बने मेडिसिन विभाग में भेज दिया जाता था या उन्हें न्यूरोलॉजी विभाग रेफर कर दिया जाता था। मरीजों की सुविधा के लिए यहां पर न्यूरोलॉजी इमरजेंसी विभाग शुरू किया था। छह बिस्तर होने से मरीजों को भर्ती के लिए 24 से 48 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। सीतापुर तंबौर का रहने वाला रामनाथ (42) को ब्रोन हैमरेज का अटैक पड़ा था। जिला अस्पताल से बुधवार सुबह उसे 10 बजे ट्रॉमा सेंटर बेहोशी की हालत में लाया गया था।
डॉक्टरों ने बेड खाली न होने का हवाला देकर जांच कराने बाद उसे 24 घंटे से विभाग के बाहर स्ट्रेचर पर लिटाए रखे हैं। मरीज का कोई भी इलाज नहीं शुरू हो सका है। ऐसे में बेहोशी की हालत में मरीज की हालत बिगड़ती जा रही है। इसी प्रकार गोडा मरीज प्रेम लता का पैरालिसिस अटैक पड़ा था। बुधवार शाम मरीज को लेकर आए ट्रॉमा आए थे। बृहस्पतिवार शाम पांच बजे तक मरीज को भर्ती नहीं किया जा सका। ़केजीएमयू सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने बताया कि ट्रॉमा के न्यूरोलॉजी विभाग में मरीजों का बहुत अधिक लोड है। ट्रॉमा के दूसरे तल पर बने मेडिसिन विभाग में मरीजों को शिफ्ट करा दिया जाता है।
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