डेंगू भ्रम नही, जागरुकता जरुरी

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प्रदेश में मच्छर जनित बीमारियों खास कर डेंगू ने  लोगों में दहशत फैला रखी है, ऐसे में इनके सटीक तथ्यों और भ्रम के बारे में जागरूकता लोगों देना आवश्यक हो जाता है। इस बारे में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविधालय के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर कौसर उस्मान से चर्चा की गयी। उन्होंने लोगों में भ्रम पैदा करने वाले व इलाज के आवश्यक तथ्यों की सटीक जानकारी दी।

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प्रो. उस्मान ने बताया कि मच्छर जनित बीमारियों के मामले व खास कर डेंगू केे अक्टूबर समाप्ति तक आते रहेंगे।  इसको पैनिक बनाने की बजाए  इसकी रोकथाम व जागरूकता फैलाने और इसके रोकने के तरीकों के लिए खुद कदम उठाये। तभी दूसरों को नसीहत दी जा सकेगी। पैनिक समाप्त करने के लिए एक प्रतिशत मामलों में डेंगू जानलेवा साबित हो सकता है। डेंगू के ज्यादातर मामलो में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती। घर पर इलाज डाक्टर की सलाह पर किया जा सकता है। उन्होने बताया अगर प्रमुख बातों पर ध्यान दिया तो भ्रम दूर हो सकता है।

वरिष्ठ फिजिशियन प्रोफेसर कौसर उस्मान ने दी सटीक जानकारी  –

भ्रम : डेंगू तेजी से फैल रहा है और नियंत्रण में नही है।
तथ्य : मच्छर जनित रोग जैसे मलेरिया के साथ डेंगू भी है , पर व्यापक नही है।

भ्रम : डेंगू कई प्रकार के होते है और सभी का इलाज भी अलग अलग होता है।
तथ्य : डेंगू की जांच के उसे दो भागों में सामान्य डेंगू बुखार और गंभीर डेंगू में बांटा जा सकता है। जांच में मरीज में कैपलरी लीकेज हो तो उसे गंभीर डेंगू से पीड़ित माना जाता है, अगर ऐसा नहीं है तो उसे डेंगू बुखार होता है  और इलाज के साथ सावधानी बरतनी चाहिए।

भ्रम: डेंगू से पीड़ित सभी मरीजों का अस्पताल व आई सीयू  में भर्ती होना जरूरी है, नही तो तबियत कभी भी तबियत बिगड सकती है।
तथ्य : डेंगू बुखार का इलाज डाक्टर को दिखाकर सामान्य तरके से भी हो सकता है। लेकिन जांच मे मरीज को अगर तेज पेट दर्द,  लगातार उल्टी, असंतुलित मानसिक स्थिति  और बेहद कमजोरी बढती जा रही है ।उन्हें भर्ती कराना पड़ सकता है। मरीजों को डॉक्टर की सलाह अनुसार भर्ती होना चाहिए। डा उस्मान का मानना है कि क्लीनकली मामलों में डेंगू बुखार का इलाज उचित तरल आहार लेने से हो जाता है।

भ्रम : डेंगू बुखार का इलाज सिर्फ प्लेटलेट्स चढाना ही है।
तथ्य : प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत तब होती है, जब प्लेटलेट्स की संख्या दस हजार से कम होती है। जांच में ब्लीडिंग हो रही हो। ज्यादातर मामलों में प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन नही पडती है।

भ्रम :मशीन से प्राप्त प्लेट्लेट्स संख्या सटीक होती है।
तथ्य : मशीन की रीडिंग असली प्लेटलेट्स की संख्या से कम हो सकती है। प्लेटलेट्स की संख्या का यह अंतर 30000 से ज्यादा तक का हो सकता है।

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