कर्मचारियों को एस्मा लगाकर भय दिखाना अलोकतांत्रिक

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शहीद कोविड योद्धाओं की श्रद्धांजलि सभा 31 मई को – परिषद

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लखनऊ । इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) द्वारा घोषित कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश ने अपने सभी जनपद शाखाओं से कहा है कि 31 मई दिन सोमवार को पूरे प्रदेश में कोविड-19 से मृत कर्मचारियों/ कोरोनावारियर्स को श्रद्धांजलि दी जाएगी, साथ ही मृत कर्मचारियों के आश्रितों को 50 लाख रुपए की अनुग्रह राशि एवं उनके अन्य देयको का भुगतान, उनके आश्रितों को सरकारी स्थाई नौकरी एक माह के अंदर दिए जाने हेतु प्रधानमंत्री को पत्र भेजा जाएगा।
महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि प्रत्येक जनपद शाखा से यह अनुरोध है कि कृपया इसकी तैयारी आज ही से कर लिया जाए । प्रत्येक जनपद में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन 31 मई को होगा , जिसमें जनपद के शहीद कर्मचारियों के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर देश के उन सभी कर्मचारियों के नाम जो इस संक्रमण से शहीद हुए हैं उनको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी ।
श्रद्धांजलि सभा के बाद प्रत्येक जनपद शाखा से माननीय प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भेजकर कार्यक्रम की जानकारी के साथ ही प्रधानमंत्री से मांग की जाएगी कि शहीद कर्मचारियों के आश्रित को 50 लाख रुपए की अनुग्रह राशि एवं उनके देयकों का भुगतान, आश्रितों को सरकारी स्थाई नौकरी 1 माह के अंदर दिए जाने दिया जाना सुनिश्चित किया जाए । ज्ञापन का प्रारूप जनपदों को प्रेषित कर दिया गया है
परिषद के संगठन प्रमुख के के सचान, अध्यक्ष सुरेश रावत, प्रवक्ता अशोक कुमार ने कहा कि इस संक्रमण काल मे 31 मई का कार्यक्रम उन पुण्य आत्माओं को शांति प्रदान करेगा जो अपनी जान पर खेलते हुए इस कोविड-19 संक्रमण के दौरान अपनी सेवा देते रहे हैं और शहीद हो गए हैं । साथ ही यह शहीद के परिवारों के लिए भी उनके दुख में सहभागिता करने का एक कार्यक्रम है । शहीद के परिवार को भी ऐसा प्रतीत होगा कि वह अकेले नहीं है, इस दुख की घड़ी में प्रदेश और देश का कर्मचारी उनके साथ खड़ा है ।

वहीं प्रदेश सरकार द्वारा इसमे लागू किये जाने पर महामंत्री अतुल मिश्र , प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने एस्मा को गैर लोकतांत्रिक कदम बताते हुए इसे श्रमिक विरोधी एवं संविधान के मूल भावना के विपरीत बताया। अतुल मिश्रा ने कहा कि वर्तमान समय में कर्मचारी पूरे जी-जान से कोविड-19 संक्रमण से देश की जनता को बचाने एवं उसके उपचार में लगा हुआ है, जबकि सरकार ने कर्मचारियों को प्रोत्साहन में बांट दिया, मृत्यु उपरांत अनुग्रह राशि मे कोविड- नॉन कोविड में बांट दिया, भत्तों रोके, महंगाई भत्ते की 3 किस्तें फ्रीज हैं।
अभी किसी भी संगठन ने हड़ताल की नोटिस नहीं दी है । सरकार ने एस्मा के तहत हड़ताल को निषिद्ध घोषित किया है, इससे ऐसा प्रतीत होता है की सरकार कर्मचारियों का और बड़ा नुकसान करने की कोई योजना बना रही है, यह भी हो सकता है कि सांकेतिक आंदोलनों को देखते हुए सरकार अगले आंदोलन को कुचलना चाहती है । माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी यह कहा था कि हड़ताल अलोकतांत्रिक नहीं होती ।
प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि जब मजदूरों की आवाज विरोध के रूप में दबाई जाने लगे तो उनके पास हड़ताल के अलावा कोई रास्ता नहीं होता । सरकार को बातचीत का रास्ता हमेशा खुला रखना चाहिए हमेशा भय दिखाकर कर्मचारियों को दबाया नहीं जा सकता । संविधान की धारा 19 के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है कि वह अपनी बात की अभिव्यक्ति कर सकता है । विरोध करना, अपनी बात कहना प्रत्येक व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है । अगर सरकार कर्मचारियों को का उत्पीड़न ना करें तो कोई भी कर्मचारी कभी हड़ताल या आंदोलन करना नहीं चाहता ।
सांकेतिक आंदोलनों के माध्यम से सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के बावजूद यदि सरकार मांगों पर ध्यान नहीं देती है तभी हड़ताल जैसी नौबत आती है।
ऐसे कानून के माध्यम से मनोबल कमजोर करने का प्रयास नहीं करना चाहिए, क्योंकि कर्मचारी सरकार का एक अभिन्न अंग है और सरकार की नीतियों का संचालन कर्मचारियों के द्वारा ही किया जाता है ।

परिषद ने कहा कि वर्तमान समय मे कर्मचारी जोखिम लेकर कार्य कर रहा है , अपनी जान भी गंवा रहा है और सरकार उनको डरा रही है।
परिषद ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की और कहा कि कर्मचारी को डराने के बजाए उनकी समस्याओं और सझाव पर द्विपक्षीय वार्ता की जानी चाहिए जिससे टकराव की नौबत ना आये और सौहार्द बना रहे अन्यथा कर्मचारी मरता क्या ना करता कि स्थिति में कठोर आंदोलन को विवश होगा ।

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