लखनऊ। बुआ के समर्थन से भतीजे ने भाजपा मुख्यमंत्री के गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हरा दिया है। इस हार ने राजनीतिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश की भावी राजनीति का साफ संकेत दे दिया है।
प्रदेश की राजनीति में देखा जाए तो हाशिये पर जा रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को इस उपचुनाव से संजीवनी मिल गयी है। वर्ष 2014 के चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने वाली बसपा एक बार फिर ताकत बनकर उभर सकती है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के समर्थन से समाजवादी पार्टी (सपा) ने दोनो सीटें जीत लीं। बसपा को आमतौर पर दलितों की पार्टी मानी जाती है, जबकि सपा में पिछडों का दबदबा है। दलित और पिछडों के गठजोड़ में मुस्लिम भी जुड़ गये और परिणाम सामने है।
राजनीतिक मामलों के जानकार अब यह कहने लगे हैं कि सपा और बसपा का गठबंधन 2019 में भी हो सकता है। ऐसी राय रखने वालों को बसपा की अध्यक्ष मायावती तथा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुलाकात से भी बल मिला है। दोनो की मुलाकात औपचारिक ही थी, लेकिन 02 जून 1995 को लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस कांड के बाद यह पहला मौका है जब सुश्री मायावती से सपा नेता से इस तरह की मुलाकात हुई हो।
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