लखनऊ । वाणिज्य कर विभाग में जून से सितम्बर तक 148 उन असिस्टेन्ट कमिश्नरों अधिकारियों को सरकार लगभग 2 करोड़ 88 लाख की भारी भरकम धनराशि वेतन के मद में बिना काम के वेतन के तौर पर दिया जा चुका है। वर्ष 2009 बैच के नवपदोन्नत असिस्टेन्ट कमिश्नरों से बेगारी करायी जाने लगी है। कुछ अधिकारियों को बकाया वसूली के कार्य में लगा दिया गया है जो की इनका मूल कार्य ही नही है, वहीं कुछ अधिकारी सरकारी शौचालयों के निर्माण कार्य की निगरानी में लगा दिये गया हैं।
शनिवार को इस मामले में नया मोड आया आैर 63 असिस्टेन्ट कमिश्नरों को शासन से सूची जारी होने तक क्षेत्राधिकार प्रदान कर दिया गया, इस सूची में करीब आठ ऐसे अधिकारियों के नाम भी शामिल किये गये जो पूर्व से ही असिस्टेन्ट कमिश्नर पद के चार्ज पर हैं, लेकिन इनको एक- एक अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। इस तरह से अभी वर्ष 2009 बैच के 65 अधिकारियों को उनके पद के अनुरूप काम मिल गया है, जबकि 83 अधिकारी अभी भी बिना काम के ही वेतन लेगें। इस पूरे प्रकरण में चौकाने वाली बात ये भी सामने ये आयी है कि इस मामले में मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर करीब 25 शिकायतें अभी तक डाली जा चुकी हैं, इसमे अधिकतर मामलों में कम्प्यूटर की कट पेस्ट प्रणाली का प्रयोग करते हुए जो रटा-रटाया जवाब भेजा गया है वह अधूरा है ऐसा विभाग के अधिकारियों का मानना है।
विभाग में लम्बे इंतजार के बाद 19 जून को प्रदेश भर के 148 वाणिज्य कर अधिकारी प्रमोशन पाकर असिस्टेन्ट कमिश्नर बने। इन अधिकारियों ने उन्ही जिलों में बतौर असिस्टेन्ट कमिश्नर ज्वाइन भी कर लिया जहां ये वाणिज्यकर अधिकारी के पद पर तैनात थे, लेकिन इन अधिकारियों की बतौर असिस्टेन्ट कमिश्नर के पद पर मौलिक नियुक्ति अभी तक नहीं हो सकी। कारण ये बताया जा रहा है कि वाणिज्य कर मुख्यालय ने इन अधिकारियों जितनी बार भी फाइल शासन को भेजी हर बार किसी न किसी आपत्ति के साथ वापस कर दी गयी। विभागीय जानकारों की माने तो शासन के इस रवैये से परेशान होकर विभाग के अपर मुख्यसचिव ने अब इस मामले में हाथ खड़े कर लिए है आैर शासन को परम शक्ति मानते इस याचना के साथ निर्णय उनके ऊपर छोड़ दिया कि जो उचित समझे करें, ये बात अलग है कि प्रदेश सरकार के राजस्व को बढ़ाने की जिम्मेदारी सीधे तौर पर विभाग के अपर मुख्यसचिव व विभागीय कमिश्नर की है।
इस-बीच एक नया मामला ये सामने आया है कि विभाग में असिस्टेन्ट कमिश्नरों की कमी होने के करण करीब 25 जनशिकायत व्यापारियों व अधिवक्ताओं द्वारा मुख्यमंत्री के पोर्टल पर भेजी गयी, जिसमें कमिश्नर वाणिज्य कर मुख्यालय की ओर से लगभग सभी मामलों में एक ही तरह का जवाब ये भेजा गया है कि ये 148 असिस्टेन्ट कमिश्नरों का ये मामला शासन स्तर पर विचाराधीन है। ज्वाइण्ट कमिश्नर स्थापना अंजनी कुमार अग्रवाल की अोर से भेजे गए इस जवाब में ये बात नहीं बतायी गयी है कि अब तक वर्ष 2009 बैच के कुल कितने अधिकारियों को क्षेत्राधिकार दिया गया। ऐसा इसलिए नहीं किया गया है क्योंकि 148 में अभी तक करीब 65 नवपदोन्नत अधिकारियों को ही शनिवार तक अधिकार क्षेत्र मिला है शेष 83 अधिकारी अभी भी बेगार कर रहे हैं।
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