न्यूज। आकांक्षी जिलों के करीब 250 पार्षदी विद्यालय के शिक्षक कल सुबह जीपीओ के निकट एकत्रित हुए व पिछले 7 वर्षो में स्थानांतरण न होने के खिलाफ मांग प्रदर्शन किया।
बताते चले की आकांक्षी जिलों से पिछले सात वर्षों से शिक्षकों का स्थानांतरण नही हुआ है जिसके वजह से उन्हें कई तरह की मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है।
मांग प्रदर्शन को एक घंटे ही हुए थे उसके बाद पुलिस प्रशासन के लोगो ने करीब दो सौ लोगो को वहा से जबरन हटा दिया। बचे लोग करीब 5 बजे तक जीपीओ के सामने तरह तरह के बैनर व पोस्टर लिए अपनी अपनी जगह पर खड़े रहे।
शिक्षकों की भीड़ में सभी शिक्षक ऐसे थे जो करीब सात वर्षो से आकांक्षी जिलों में कार्यरत है, सभी शिक्षकों की उनके ग्रह जिले में स्थानांतरण की मांग थी।
शिक्षकों ने यह भी बताया की अगर इस बार उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे एक बार फिर विधान सभा के सामने शांति पुर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगे।
प्रदर्शन से पहले सभी शिक्षकों ने कार्यालय में मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, मा बेसिक शिक्षा मंत्री श्री संदीप सिंह,अनामिका सिंह (महानिदेशक बेसिक शिक्षा) व शरवेंद्र विक्रम (निदेशक स्कूली शिक्षा) से भी मुलाकात की व उनकी मांगों को मां मुख्यमंत्री जी तक पहुंचाने की बात भी कही।
*”परिवारिक जिम्मेदारियां के दबाव से बढ़ रही बीमारियां”*
प्रदर्शन करने आए कई शिक्षकों का कहना था कि वे अपने गृह जनपद से 300 से 700 किमी. दूर कार्यरत हैं।
इन आठ आकांक्षी जिलों को छोड़ कर बाकी सभी जिलों के शिक्षकों के स्थानांतरण होते है, जबकि आरटीआई आवेदन के बाद नीति आयोग ने साफ किया था कि आकांक्षी जिलों से स्थानांतरण पर किसी भी तरह की कोई रोक नहीं है।
घर से काफी दूर होने के कारण अपने बुजुर्ग माता पिता की देखभाल, और बच्चों को समय न दे पाने के कारण पारिवारिक जिम्मेदारियों का वहन करने में कठिनाई हो रही है।
अधिकांश शिक्षक 40 से 45 वर्ष आयु वर्ग के हैं जिसके कारण हर हफ्ते इन्हें अपने घर पहुंचने की जल्दी रहती है। इसका विपरीत असर परिवार व शिक्षा दोनों पर पड़ना स्वभाविक है. अध्यापकों ने बताया कि लगातार सफर करने के कारण तनाव, हाई ब्लड प्रेशर, स्पांडिलाइटिस, डायबिटीज जैसी समस्याएं हो रही हैं। दिव्या भदौरिया, रश्मी,गुरु चरन सुनीता सरोज, टीना, कविता, सहित अन्य बेसिक शिक्षको ने गृह जनपद में स्थानांतरण की सुविधा दिए जाने की मांग रखी हैं




