आक्रोशित रेजीडेंट डाक्टरों ने वार्ता के बाद यह किया

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लखनऊ। सातवां वेतनमान नहीं लगाये जाने के अलावा अन्य भत्तों के नहीं दिये जाने पर आक्रोशित सीनियर व जूनियर रेजीडेंट डाक्टरों ने मंगलवार को हड़ताल पर जाने की घोषणा को चिकित्सा शिक्षा मंत्री व प्रमुख सचिव से वार्ता के बाद वापस ले लिया। रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन ने आज दोपहर में ओपीडी, आपरेशन थियेटर व विभागों के वार्डो में काम को बंद करते हुए हड़ताल करने का निर्णय लिया था। केजीएमयू के रेजीडेंट डाक्टर एसोसिएशन (आरडीए) के तहत हो रही हड़ताल में रेजीडेंट डाक्टर आक्रोशित है। रेजीडेंट डाक्टरों का कहना है कि कई महीनों से उन्हें सातवां वेतनमान दिये जाने के आश्वासन दिया जा रहा है।

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यहीं उन्हें पीजीआई के समकक्ष भत्तों को भी नही दिया जा रहा है। उनका आरोप है कि कई चरणों में चिकित्सा शिक्षा मंत्री तथा कुलपति डा. एमएलबी भट्ठ से वार्ता भी हो चुकी है आैर कई बार ज्ञापन भी दिया जा चुका है, लेकिन हर बार मात्र आश्वासन ही दिया जाता है, जब कि रेजीडेंट डाक्टर गंभीर मरीजों के इलाज के अलावा ड¬ूटी में भी हमेशा अनुशासनपूर्वक रहते हुए इलाज में जुटे रहते है।

ऐसे में अब रेजीडंेट डाक्टरों का सब्रा का बांध टूट गया है। वह सब आंदोलन करने के लिए मजबूर है। इसके बाद केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस एन शंखवार व चिकित्सा अधीक्षक डा. विजय कुमार ने रेजीडेंट डाक्टरों से बात करते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन के अलावा प्रमुख सचिव रजनीश दुबे से भी वार्ता करा कर उनकी दिक्कतों को रख दिया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. शंखवार ने बताया कि वार्ता के बाद उनकी मांगों को जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया गया है। रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रमुख सचिव ने वार्ता के बाद हड़ताल वापस करने के निर्णय लिया है।

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