लखनऊ। पतंग की डोर में उलझ कर स्कूटर से गिरने के बाद 42 वर्षीय महिला के दांयी अंाख की सूजन आने के साथ रोशनी भी चली गयी। कई जगह इलाज कराने के बाद बीमारी समझ न आने पर परिजनों ने डा. राम मनोहर लोंिहया आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरो सर्जरी में परामर्श लिया। यहां पर विभाग प्रमुख डा. दीपक सिंह ने जांच के बाद ब्रोन की कैरोटिको कैवरनस फिस्चुला(सीसीएफ) की दिक्कत बताते हुए सर्जरी की सलाह दिया। इस जटिल सर्जरी के बाद सूजन भी चली आैर आंखों की रोशनी भी ठीक हो गयी।
बलिया निवासी 42 वर्षीय गीता देवी अगस्त महीने में अपने पति की स्कूटर के पीछे बैठ कर किसी काम से जा रही थी। इस दौरान अचानक गले में पतंग की डोर फंसने लगी। डोर को हटाने की कोशिश में वह गिर गयी। चोट लगने के दस दिन बाद दाहिनी आंख में सूजन आने लगी। धीरे- धीरे आंखों से दिखना बंद हो गया। परिजनों के मुताबिक स्थानीय डाक्टरों को दिखाया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हो पाया।
सितम्बर महीने में लोंिहया संस्थान की ओपीडी में दिखाया। यहां पर न्यूरो सर्जरी विभाग में भेजा गया। विभाग प्रमुख प्रो. दीपक सिंह ने बताया कि जांच में पता चला कि मरीज सीसीएफ दिक्कत हो गयी थी। इसमें ब्रेन की मुख्य धमनी फटकर आंख की ब्लड वेन से जुड़ जाती है। डा. सिंह ने बताया कि मरीज की तत्काल इंडोवस्कुलर तकनीक से दोनों नसों अलग कर दिया गया। इसके बाद एक महीने में मरीज की आंख की सूजन चली गयी आैर रोशनी एक महीने में पूरी तरह वापस लौट आयी।











