लखनऊ। केजीएमयू के कार्डियोवास्कुलर एवं थोरेसिक सर्जरी विभाग ने एओर्टिक स्यूडोएन्यूरिज्म पीड़ित मरीज की बहुत ही जटिल सर्जरी करके नया जीवन दिया।
अयोध्या की 28 वर्षीय महिला मरीज का डेढ़ साल पहले डबल वाल्व रिप्लेसमेंट की सर्जरी में महाधमनी स्यूडोएन्यूरिज्म होने की जानकारी मिली। महाधमनी का स्यूडोएन्यूरिज्म एक दुर्लभ रूप से सामने आने वाली रक्त से भरी सूजन है। यह महाधमनी से संचार करती है। दोबारा सर्जरी में जोखिम था, शुरुआत में रोगी को एंडोवास्कुलर सर्जरी की सलाह दी गयी।
कार्डियोलॉजी विभाग के डाक्टरों ने महाधमनी में एंडोवास्कुलर डिवाइस का उपयोग करके स्यूडोएन्यूरिज्म थैली के छेद को सफलतापूर्वक बंद कर दिया गया। मगर 3-4 सप्ताह बाद एक रिसाव के कारण थैली धीरे-धीरे आकार में बढ़ गयी। डाक्टरों ने पाया कि स्यूडोएन्यूरिज्म के फूटने और मृत्यु का जोखिम था। एकमात्र विकल्प ओपन सर्जरी ही बचा था। ओपन सर्जरी को करने में मुख्य चुनौती यह थी कि स्यूडोएन्यूरिज्म थैली छाती पर ही छाती की हड्डी के ठीक पीछे स्थित थी और कार्डियक और महाधमनी को घेरे हुई थी।
इसलिए सर्जरी के दौरान हृदय और महाधमनी में प्रवेश करना मुश्किल था। इस सर्जरी में स्यूडोएन्यूरिज्म के फूटने और रक्तस्राव का खतरा अधिक था। इसलिए परिधीय बाईपास करने का निर्णय लिया गया। इसमें प्रक्रिया में मरीज को हार्ट को फेफड़े की मशीन से जोड़ने के लिए पैर की वाहिकाओं में नलिकाएं लगाई जाती हैं। हार्ट को रोकने और सर्जरी को सुरक्षित रूप से सक्षम करने के लिए हाइपोथर्मि सर्कुलेटरी अरेस्ट का उपयोग किया।
जहां पहले रोगी के शरीर का तापमान धीरे-धीरे और सावधानी से आधे घंटे में 18 डिग्री सेल्सियस तक कम किया गया और फिर हार्ट और मस्तिष्क सहित पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को रोक दिया गया। सर्जरी में केवल छह मिनट के संक्षिप्त समय में स्यूडोएन्यूरिज्म थैली को खोला गया।
एंडोवास्कुलर डिवाइस को बाहर निकाला गया और महाधमनी में छेद की मरम्मत की गयी। सर्जरी प्रो. एस. के. सिंह के नेतृत्व में डॉ. विवेक, डॉ. सर्वेश, डॉ. भूपेन्द्र कुमार और डॉ. मोहम्मद जीशान हकीम शामिल थे। छेद को ठीक करने के बाद पूरे शरीर को एक घंटे में धीरे-धीरे गहरे हाइपोथर्मिक परिसंचरण अवरोध से सामान्य शरीर के तापमान तक गर्म किया गया। कार्डियक एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. करण कौशिक के साथ डॉ. दुर्गा कन्नोजिया ने रोगी को कार्डियक एनेस्थीसिया और मस्तिष्क की निगरानी किया। सर्जरी के बाद मरीज वेंटिलेटर पर सीटीवीएस आईसीयू रखा गया। आईसीयू में वह ठीक हो गईं और अगले दिन उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया। केजीएमयू की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने सफल सर्जरी में शामिल टीमों को बधाई दी।