लखनऊ। सरकारी अस्पतालों में जल्द ही दवाओं की एलपी (लोकल परचेज) बंद होगी। जो दवाएं अस्पताल में नहीं होंगी वह जन औषधि केन्द्र से ली जायेेंगी। इस योजना के तहत अस्पतालों में जन औषधि केन्द्र खोले जा रहे हैं जहां दवाओं के साथ इंप्लांट आदि भी उपलब्ध होंगे। अस्पतालों में लोकल पर्चेज बंद करने का प्रस्ताव शासन स्तर पर तैयार किया जा रहा है। इस प्रस्ताव के मुताबिक अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता न होने पर या जो दवा अस्पताल में नहीं खरीदी जाती है, वह सभी जन औषधि केन्द्र पर मिलेंगी। लोकल परचेज की बजाय मरीजों को जन औषधि केन्द्र से ही दवाएं दी जायेंगी। बहरहाल यदि यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो जहां सरकार को कई करोड़ का फायदा होगा वहीं अस्पतालों में कमीशनबाजी का खेल भी ख़त्म होगा।
मालूम हो कि प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल बलरामपुर में दवाओं का बजट 15 करोड़ के करीब हैं। यहां प्रति माह 50 से एक करोड़ रूपये एलपी दवाओं पर खर्च होते है। इनमें से गरीब व जरूरतमंद मरीजों के लिए कितनी एलपी की जाती है यह तो बता पाने में विभागीय अधिकारी भी सक्षम नहीं है लेकिन यह हर कोई बता देगा कि मंत्री, आलाधिकारी व जज व वकीलों के लिए महंगी ब्राडेंड दवाएं एलपी की जाती हैं। वहीं डा. राममनोहर लोहिया अस्पताल में भी दवा का बजट 15 करोड़ ही है लेकिन बलरामपुर अस्पताल की तुलना में यहां प्रति माह एलपी कम होती है। यहां प्रतिमाह करीब 15 से 20 लाख रूपये की एलपी की जाती है।
वहीं डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में भी दवाओं का बजट लोहिया व बलरामपुर अस्पताल के बराबर ही है। चंूकि यहां भी वीआईपी मरीज अधिक आते हैं इसलिए यहां भी आम मरीजों की बजाय उन पर एलपी का खर्चा अधिक है। यहां हर माह 35 से 40 लाख रूपये की एलपी होती है। एक विभागीय अधिकारी ने बताया कि कुल बजट का 30 से 40 प्रतिशत ही एलपी दवाओं पर खर्च किया जा सकता है लेकिन कई अस्पताल इन नियमों को पालन नहीं कर रहे हैं और वहां मनमाने तरीके से दवाएं खरीदी जा रही हैं।
जरूरतमंदों को नहीं पहुंच वालों को मिलती है एलपी की दवाएं
सरकारी अस्पताल के एक वरिष्ठ डाक्टर का कहना है कि एलपी होने से गरीब मरीजों को कोई ख़ास फायदा नहीं होता है। गरीबों को एलपी कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है जबकि पहुंच वालों के लिए एलपी कराके दवा उनके घर तक पहुंचा दी जाती है। एेसे में जाहिर सी बात है कि एलपी बंद होने से फिजूल खर्ची पर लगाम लगेगी। शासन के सूत्रों की मानें तो सरकार गरीब मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में काम कर रही है। इसी के तहत प्रदेश भर में जन औषधि केन्द्र खोले जा रहे हैं। बड़े अस्पतालों से लेकर सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर यह केन्द्र खोले जाने का मकसद है कि इलाज व दवाएं गरीब तबके की पहुंच तक हो।
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