लखनऊ । हिस्ट्रोस्कोपी उन दम्पतियों के लिए आशा की किरण है, जिन्हें लगातार गर्भपात व बांझपन के कारण उनकर परिवार टूटने की कगार है। यह तकनीक आईवीएफ तकनीक को आैर अधिक कारगर बनाकर गर्भाधान को आसान बना देती है। यह बात हिस्ट्रोस्कोपी के किंग आफ हिस्ट्रोस्कोपी विशेषज्ञ मिस्त्र के इजिप्ट निवासी डा. ओशामा शाओकी कही। वह रविवार को आलमबाग स्थित इंडियन एसोसिएशन ऑफ गाइनाकोलॉजिस्ट एंडोकोपिस्ट की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में 35 स्त्री रोग विशेषज्ञ को ंिहस्ट्रोस्कोपी तकनीक की जानकारी लाइव सर्जरी करके दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि हिस्ट्रोस्कोपी (दूरबीन विधि) से गर्भाशय की जटिल बीमारियों को सरलता से निदान किया जा सकता है। गर्भाशय के आंतरिक भाग में रूकावट, ट्यूमर आदि का जांच आसानी से की जा सकती है। उन्होंने कहा कि हिस्ट्रोस्कोपी से ट्यूमर आदि को निकालने के अलावा पेट व गर्भाशय की बीमारियों की सटीक पहचान की जा सकती है। डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि हिस्ट्रोस्कोपी एक तरह का नोट्स (नैचुरल ओरिफाइस ट्रांसल्युमिनल एंडोस्कोपिक सर्जरी) और बिना चीर फाड़ की सर्जरी है। मरीज को उस दिन डिस्चार्ज भी कर दिया जाता है। इसको डे-केयर सर्जरी भी कहा जाता है।
डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि हिस्ट्रोस्कोपी तकनीक कई बीमारियों के निदान करने के लिए आसान है। इससे गर्भाशय से बायोप्सी के लिए नमूने भी लिया जा सकता है, इससे गर्भपात, गर्भाशय से ब्लडिंग के अलावा बाझपन की गुत्थी सुलझाई जा सके। कार्यशाला में डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 200 बेड हॉस्पिटल की प्रमुख डॉ. यशोधरा प्रदीप, वरिष्ठ डा. अनिल खन्ना, डा. एके द्विवेदी सहित अन्य वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे। कार्यशाला में लाइव सर्जरी के साथ ही अन्य डाक्टरों के प्रश्नों का भी निदान किया जाएगा।
अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.