लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में प्रदेश की पहली सरकारी स्तर पर शुरु होने वाली स्टेम सेल बैंक बनाने की हरी झंडी मिल गई है। इस स्टेम सेल के निर्माण के लिए शासन ने लगभग पांच करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया है। पहले चरण में बैंक में लगने वाली बीएसएल-3 (बायो सेफ्टी लैब-3) तैयार करने के लिए पहली किस्त दो करोड़ तीन लाख 90 हजार रुपये जारी कर दिए गए हैं। यह अप्रैल में लैब का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
लगभग पांच वर्षो से केजीएमयू के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग स्टेम सेल बैंक के स्थापना के लिए प्रयास कर रहा है। विभाग प्रमुख डा. तूलिका चंद्रा लम्बे समय से क्वीन मेरी अस्पताल की मदद से स्टेम सेल बैक का ट्रायल भी ले चुका है। इस सफलता के बाद ही केजीएमयू प्रशासन ने स्टेम सेल बैंक शुरू करने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा था। शासन ने अब पांच करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत कर दिया है। यह स्टेम सेल बैंक शताब्दी फेज-2 के ट्रांसफ्यूजन विभाग में बनेगा। ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग व ब्लड बैक प्रभारी डॉ. तूलिका चन्द्रा ने बताया कि शासन से बजट मिलने के बाद निर्माण कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि क्वीनमेरी में जन्म लेने वाले स्वास्थ्य शिशु के अम्लाइकल कॉर्ड (नाल) लिया जाएगा। यह शिशु के जन्म के 20 मिनट के भीतर ले लिया जाता है। विशेष तकनीक से बैंक में स्टेम सेल निकाल कर कम से कम 20 साल तक के लिए सुरक्षित कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्टेम सेल गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को क्रास मैच कराने के बाद इलाज के लिए दे दिया जाएगा।
डॉ. तूलिका चन्द्रा ने बताया कि पूरे देश में लगभग छह स्टेम सेल बैंक हैं, पर, इसमें शिशु की नाल सुरक्षित रखी जाती है। इस स्टेम सेल में अम्लाइकल कॉर्ड सुरक्षित रखने के लिए शुल्क कितना होगा। यह निर्णय अभी लेना बाकी है। स्टेम सेल बैंक लगभग इस वर्ष के अंत तक काम करना शुरू कर देगा। यह केजीएमयू के कुलपति डा. एमएलबी भट् के प्रयासो की कोशिश होगी।
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