लखनऊ। तेजी से फै ल रहे मुंह के कैंसर के जीन्स की पहचान करने के लिए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का दंत संकाय शोध करेगा। इस शोध के लिए दंत संकाय में आधुनिक डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ रिसर्च मल्टी स्पेशियलिटी रिसर्च यूनिट (डीएचआरएमआरयू) लैब स्थापित की गई है। इस लैब को करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। बुधवार को लैब का उद्घाटन स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग की संयुक्त सचिव सरिता मित्तल ने किया।
केजीएमयू के दंत संकाय के डीन कार्यालय में स्थापित लैब की नोडल ऑफिसर डॉ. द्विव्या मेहरोत्रा ने बताया कि मुंह में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लक्षण दिखने पर समय पर सही इलाज न होने से यह गंभीर हो जाता है। 90 प्रतिशत मुंह के कैंसर पीड़ित को प्री-कैंसर की शिकायत रहती है। ऐसे में मुंह के कैंसर के लिए जिम्मेदार जीन्स की पहचान की जाएगी।
कार्यक्रम में डीन डॉ. शादाब मोहम्मद ने कहा कि अब स्टेम सेल से भी दांतों का निर्माण होगा। जबड़े की हड्डी भी बनाई जा सकेगी। उन्होंने बताया कि एनीमल, डेंटीन, पैरोडोसियम, पल्प सिमेंटन समेत अन्य तत्वों से मिलकर दांत बनता है। दांत के पल्प से स्टेम सेल तो निकाला जा चुका है अब दांतों के निर्माण की दिशा में शोध किये जाने की तैयारी है।
डॉ. द्विव्या ने कहा कि अनुवंशिक बीमारियों का पता लगाने के साथ ही कटे ओंठ-तालू के पतला होने के कारणों का पता लगाया जा सकेगा।
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग की संयुक्त सचिव सरिता मित्तल ने लैब का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य शोध को बढ़ावा दे रहा है। कई राज्यों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 80 अनुसंधान इकाइयों की स्थापना की जा रही है। इसके लिए प्रत्येक कॉलेज को पांच करोड़ रुपये की धनराशि जारी की जाएगी, ताकि सभी संसाधन जुटाए जा सके। कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट ने कहा कि यह प्रदेश का पहला दंत संकाय है, जिसके पास जेनेटिक मॉलिक्यूलर लैब मौजूद है। चिकित्सा में शोध बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है।
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