लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान (पीजीआई) के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग ने एक घड़ीनुमा डिवाइस स्थापित की है। जो इंसान की नींद का आंकलन करेगी। हाथ में बांधे जाने वाली यह डिवाइस बताएगी कि इंसान की सोने की
आदत कैसी है। यह डिवाइस यूपी में सरकारी अस्प्तालों में केवल पीजीआई में उपलब्ध है। इसके बारे में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रो. जिया हाशिम ने बताते हैं कि इससे नींद का आकलन किया जाएगा। क्योंकि अच्छी नींद न आने की वजह से उच्च रक्तचाप, दिन में छपकी, थकान, डायबटीज के दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ जाएगी। वह बताते हैं कि 20 से 30 फीसदी लोगों को गहरी नींद नहीं आती है। सामान्य इंसान के लिए 5 से 6 घंटे नींद जरूरी है। पीजीआई ने एक्टी ग्राफी सिस्टम तकनीक स्थापित किया है, जिसमें एक घडी नुमा डिवाइस हाथ में बांधा जाता है, जो बताएगी की इंसान की स्लीप हैबिट कैसी है।
यह तकनीक स्थापित करने वाला उत्तर भारत का तीसरा सरकारी अस्पताल है। मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाइस पर्याप्त नींद न आने का एक बड़ा कारण सोशल मीडिया भी बनता जा रहा है। युवाओं के साथ ही बड़े भी रात-रात इसमें व्यस्त रहते हैं। इसकी बड़ी वजह मोबाइल फोन व इलेक्ट्रानिक डिवाइस हैं। डॉ. जिया हाशिम बताते हैं कि 30 से 40 फीसदी सड़क हादसे का नींद होती है। लगातार ड्राइविंग करने की वजह से चालक की नींद पूरी नही होती है। नींद पूरी न होने की वजह से सड़क पर ड्राइविंग के वक्त कभी भी झपकी आने पर हादसा होने की संभावना बढ़ जाती है। जिसकी वजह से सड़क हादसों में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में व्यक्ति को संतुलित नींद पूरी लेना जरूरी है।
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