लखनऊ . प्रदेश भर के टीबी के मरीजों को और राहत मिलने जा रही है। विश्व टी.बी. दिवस 24 मार्च को मुख्यमंत्री सूबे की 65 सीबीनेट मशीनों को उदघाटन करने जा रहे हैं। सीबीनेट की खासियत है कि इससे दो घंटे में जांच रिपोर्ट मिल सकेगी। वह भी निशुल्क। जबकि अभी तक कई बड़े जिलों में पुरानी मशीनों तीन माह में रिपोर्ट मिलती थी।
जिला क्षय अधिकारी बीके सिंह ने बताया कि शनिवार से लखनऊ के सिविल और टूड़ियागंज टीबी अस्पताल में सीबीनैट लैब चालू हो जाएगी। जहां प्रतिदिन करीब 48 नये मरीज अपनी जांच करा सकेंगे। इसकी रिपोर्ट भी दो घण्टे में मिल जाएगी। अभी तक लखनऊ में टीबी की जांच के लिए सीबीनैट ( कार्टेज बेस्ट न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट) की दो मशीने कार्यरत है, एक राजेन्द्र नगर टीबी अस्पताल में और एक केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेन्ट में।
क्यों खास है सीबीनेट
सीबीनेट मशीन से मात्र दो घंटे में जांच रिपोर्ट मिल जाती है। जबकि पुरानी मशीनों से तीन महीने में रिपोर्ट मिल पाती थी। इस मशीन में बलगम की जांच के अलावा टीबी की दवा रिफैम्पिसिन कैप्सूल के ड्रग रैजिस्टटैन्स की भी जांच भी हो जाती है। इस जांच में मरीज के उन बैक्टीरिया की जांच भी हो जाती है जिन पर रैसापाईन कैप्सूल का असर नहीं हो रह होता है। ऐसी दशा में मरीज की एमडीआर टीबी की जांच मतलब गंभीर टीबी की जांच की जाती है, एमडीआर जांच के दौरान मरीज का 24 महीने तक इलाज चलता है। सीबीनैट मशीन में बलगम की जांच के अलावा शरीर में मौजूद फ्लूड फॉर्म के सभी सैम्पल टेस्ट किए जा सकते हैं, जैसे घाव का मवाद, गिलटी का मवाद, फेफड़े में पानी (प्ल्यूरल फ्लूट) हडडी में पानी (हडडी में जो बैक्टीरियल इन्फैक्शन हो जाता है) उसका टेस्ट करके ट्रीटमेन्ट भी किया जाता है। खून, यूरीन और स्टूल को छोड़कर शरीर में मौजूद सभी प्रकार के फ्लूट का टेस्ट सीबीनैट मशीन में किया जाता है। निजी अस्पतालों में टीबी की जांच के लिए करीब तीन हजार रूपये तक खर्च आता है।
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