स्टाफ है नहीं कैसे चले वेंटिलेटर

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लखनऊ। वेंटीलेटर के आभाव में बच्चों की सांस न टूटे, इसके लिए सिविल अस्पताल मेंपीआईसीयू (पीडियाट्रिक वेंटीलेटर यूनिट) बनाकर तो तैयार कर दी गयी लेकिन इसको चलाने के लिए स्टाफ ही नहीं है। अस्पताल में बच्चों के मात्र चार डाक्टर हैं, ऐसे में यूनिट कैसे शुरू हो पायेगी, इसका जवाब देने में अस्पताल प्रशासन भी असमर्थ है। हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में डिब्बे में बंद पड़े 89 लाख के नौ वेंटीलेटर शुरू करने को शासन द्वारा भले ही एक डॉक्टर उपलब्ध कराने के साथ शुरू करने की झंडी दे दी हो, मगर वास्तव में शुरू होने में कई अड़चने हैं। जानकारों का मनना है कि अस्पताल में वेंटीलेटर यूनिट संचालन के लिए पीडियाट्रिशियन ही नहीं है।

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अस्पताल में कुछ चार पीडियाट्रिशियन हैं। यदि कोई डॉक्टर अवकाश पर चला जाता है तो इलाज मुश्किल हो जाता है। एेसे में पीआईसीयू चलाना किसी चुनौती से कम नहीं। मालूम हो कि वर्ष 2015 में प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने बच्चों के बेहतर इलाज के लिए सिविल अस्पतला में पीआईसीयू (पीडियाट्रिक वेंटीलेटर यूनिट) शुरू करने की घोषणा की थी। जो कि लानऊ में एक मात्र केजीएमयू के बाल रोग विभाग में ही स्थित है। इसके बाद वर्ष 2017 के अप्रैल माह में बड़े साइज के नौ वेंटीलेटर अस्पताल में आ गये। मगर, इसे शुरू करने के संसाधन के नाम पर कुछ नही बढ़ा। लिहाजा, बच्चों को जीवन दान देने वाले वेंटीलेटराुद निष्क्रिय हालत में डिब्बों में बंद पड़े हैं।

हालांकि अस्पताल प्रशासन ने जद्दोजहद कर तमाम मुश्किलों का सामना कर, वेंटीलेटर को आक्सीजन देने वाली सेंट्रल आक्सीजन पाइप लाइन स्थापित कराई। इसके बावजूद वेंटीलेटर यूनिट नहीं शुरू हो सके, क्योंकि यूनिट को संचालित करने के लिए अस्पताल में न ही प्रशिक्षित पीडियाट्रिशियन हैं और न ही स्टाफ है। उक्त समस्या का समाधान, ऊंट के मुह में जीरे के समान, सोमवार को हुआ। निदेशक डॉ.दानू ने बताया कि यूनिट संचालन के लिए पांच पीडियाट्रिक्स डाक्टरों की डिमांड की जा रही है। शासन ने एक पीडियाट्रिक को नियुक्ति करने की सहमति दी है। अब एक पीडियाट्रिक चिकित्सक को प्रशिक्षण के लिए केजीएमयू भेजा जायेगा। प्रशिक्षण उपरांत, यूनिट शुरू कर दी जायेगी, साथ ही उक्त चिकित्सक ही अन्य दो चिकित्सकों को यूनिट संचालन का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। वहीं डाक्टरों की कमी के साथ यूनिट को चलाने के लिए कई और संसाधनों की कमी है जिसे खरीदने का काम सीएमएसडी द्वारा किया जाना है।

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