लखनऊ। तमाम दावों के बाद भी स्वाइन फ्लू मरीजों को भी इलाज नहीं मिल पा रहा है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय से बलरामपुर अस्पताल के बीच बारह घंटे की परिक्रमा के बाद भी स्वाइन लू का संदिग्ध मरीज नहीं मिला आैर शुक्रवार की दोपहर उसकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप था कि केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में वेंटीलेटर खाली न होना बताकर देकर बलरामपुर अस्पताल भेज दिया गया। वहां पर हालत बिगड़ी तो होने पर उसे वापस ट्रॉमा भेजा गया, जहां पहुंचते ही उसकी मौत हो गई।
हरदोई के ग्राम गौरखेड़ा का रहने वाला ललित (18) दिल्ली में एक निजी कंपनी में काम करता था। उसे बुखार होने के साथ ही सांस लेेने में तकलीफ होने लगी। बृहस्पतिवार को ललित ने परिजनों को तबियत खराब होने की बात फोन पर जानकारी दी। परिजनों ने उसे हरदोई वापस बुला लिया। परिजन उसे लेकर हरदोई स्थित निजी अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने जांच पड़ताल करने के बाद हालत गंभीर बताकर केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। देर रात करीब डेढ़ बजे तीमारदार मरीज को लेकर कैजुल्टी में पहुंचे। परिजनों का कहना है कि वहां डॉक्टरों ने जांच पड़ताल कराई। पिता रामविलास का आरोप है कि ट्रॉमा सेंटर में कई विभागों में चक्कर लगाने बाद उसे शुक्रवार तड़के वेंटीलेटर न खाली होने की बात कही गयी अौर बलरामपुर अस्पताल रेफर कर दिया गया।
बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया। यहां पर इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर ने मरीज की केस हिस्ट्री देखने के बाद लक्षण के आधार पर उसे स्वाइन लू होने की आशंका जतायी। डाक्टरों के अनुसार मरीज की हालत गंभीर देख उसे वेंटीलेटर की जरूरत बतायी आैर केजीएमयू वापस भेज दिया। परिजन शुक्रवार दोपहर करीब 12 बजे जल्दी से किसी तरह एंबुलेंस से लेकर उसे ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। वहां कैजुल्टी में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पिता का आरोप है कि ट्रामा सेंटर में एक वेंटीलेटर था, इसके बाद खाली होने बाद भी नहीं दिया गया। इलाज में हुई लापरवाही व से उसके बेटे की जान चली गई।
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