प्राकृतिक रंगो से खेलें होली, केमिकल से हो सकती है एलर्जी

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रंगों का त्यौहार होली उल्लास एवं उमंग का पर्व है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर अपने प्रेम का इजहार करते हैं। वहीं जब रंगों की बात आए और वह भी रासायनिक तो सावधान रहिए। इनसे त्वचा को काफी नुकसान पहुंचता है। साथ ही यह रंग इतने खतरनाक होते हैं कि आपकी जान भी जा सकती है। वहीं, कुछ तरीकों को अपनाकर इन रंगों से बचा जा सकता है और आसानी से छुड़ाया जा सकता है। यह बातें किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के चेस्ट रोग विशेष डॉक्टर वेद प्रकाश ने आज प्रेस को संबोधित करते हुए कही।

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डा. वेद प्रकाश ने बताया कि होली के दौरान सांस, अस्थमा, सीओपीडी व एलर्जी के मरीजों को रंगों को लेकर विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। होली में इस्तेमाल किया गया कृत्रिम रंग एलर्जी पीड़ित व्यक्तियों के लिए खतरा बन सकता है। आम तौर पर हरे रंग के लिए तांबा, काले रंग के लिए नाइट्रेट आक्साइड और गुलाल में अभ्रक एलर्जिक रोगियों के लिए उत्प्रेरक का काम करते हैं। इसलिए एलर्जिक रोगियों को चाहिए कि वह रंग खेलने से बचें।

रंगों से एलर्जी है तो इन बातों का रखें ध्यान

त्वचा पर रंगों की एलर्जी को हल्के में न लें क्योंकि इनकी अनदेखी किसी गंभीर बीमारी में भी तब्दील हो सकती है। एक्जिमा जैसे रोगों से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि बाहर जाने से पहले अपनी त्वचा और चेहरे पर तेल, पेट्रोलियम जेली या फेस क्रीम की मोटी परत लगाएं। अपने बालों में भी खूब सारा तेल लगा लें ताकि डाइ और रंगों में मौजूद हानिकारक पदार्थ आपके बालों और सिर की त्वचा से न चिपकें।

  1. पूरी बाजू के कपड़े पहनें। शॉर्ट्स के बजाय पूरी लंबाई की पैन्ट पहनें ताकि जहां तक हो सके आपकी त्वचा ढकी हुई रहे।
  2. होली खेलने के बाद धूप में न बैठें। इससे त्वचा को और ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। अगर आप घर के बाहर होली खेल रहें हैं, तब भी छाया में ही रहें।
  3. अपने नाखूनों से रगड़ कर रंग को निकालने की कोशिश न करें। अपने शरीर और चेहरे के लिए ग्रेन्यूलर स्क्रब का इस्तेमाल करें।
  4. अच्छी क्वालिटी के नेचुरल रंगों से ही होली खेलें जिससे त्वचा को रंगों का खामियाजा न भुगतना पड़ें।

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