निपाह वायरस से डरे नहीं, करे बचाव

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लखनऊ – केरल में निपाह वायरस की चपेट में आने के बाद 10 लोगों से ज्यादा मौत के बाद प्रदेश में भी दहशत बन गयी है। सोमवार व मंगलवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की ओपीडी व विभाग में इलाज के लिए पहुंचे मरीज अपनी इस बीमारी से ज्यादा इस बीमारी की जानकारी लेते मिले। इसके मद्ेनजर पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डा.वेद प्रकाश ने लोगों से अपील की है कि बीमारी से बचाव ही सबसे ज्यादा बेहतर उपाय है। यूपी में अभी इस बीमारी के कोई संदिग्ध नही है फिर भी किसी प्रकार की दिक्कत होने पर डाक्टर से ही परामर्श ले। उन्होंने दावा कि अगर कोई संदिग्ध मरीज मिलता है तो केजीएमयू में उनका विभाग उसके लिए तैयारी कर रहा है।

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डा. वेद मंगलवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के शताब्दी अस्पताल में पत्रकार वार्ता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि निपाह वायरस सीधे फेफड़े व तंत्रिका तंत्र पर अटैक करता है। ज्यादातर मरीजों की मौत फेफड़ें की कार्यक्षमता पर प्रभावित होती है। इस वायरस की चपेट में आने के बाद हालत गंभीर होने पर कई मरीजों को आईसीयू व वेंटीलेटर की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने बताया कि निपाह वायरस का होस्ट फ्रूट बैट चमगादड़ से फैलता है।

यह सूअर व पालतू जानवर मनुष्यों में बीमारी फैलने के बीच की कड़ी है। उन्होंने बताया कि खजूर की खेती करने वाले लोगों जल्द संक्रमण पाये गये है। यह वायरस पहली मलेशिया के निपाह में वर्ष 1998 में फैला था। वहीं भारत में पहली बार वर्ष 2001 में बेस्ट बंगाल में यह बीमारी फैली थीएइसके अलावा वर्ष 2001 में ही बंगला देश में हपाम ट्री से बनी शराब के पीने से फैली थी। उन्होंने बताया कि यह बीमारी एक मरीज से दूसरे मरीज में फैल सकती है। इस बीमारी से संक्रमित मरीजों 40 से 75 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है।

बीमारी के लक्षण –

  • इस वायरस का असर पांच से 14 दिन का होता है।
  • सर्दी जुखाम
  • बदन दर्द
  • सर दर्द
  • उल्टी आना
  • पेद दर्द
  • खांसी आना
  • अचानक सांस फूलना
  • चक्कर आना
  • झटके आना
  • बेहोशी आना
  • कोमा में जाना

बचाव –

  • फल, ताड़ जहां चमगादड़ होने की आशंका हो, न सेवन करें।
  • नारियल से बनने वाली चीजों से परहेज करें
  • हाथ अच्छे से धोयें और बीमार मरीज से दूर रहें
  • बीमार मरीज के बिस्तर व वर्तन एकपड़े अलग रखें
  • बीमारी से मरने के बाद शव से बचे,या निर्देशों का पालन करते हुए स्पर्श करें।

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