नवजात बेटियों को छोड़ बाप भाग निकला…

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लखनऊ। नवजात जुड़वा बच्चियों के जन्म लिए 24 घंटे भी नहीं बीते थे, कि उनकी मां की मौत हो गयी, तो पिता भी उन्हें अनाथ बनाकर चला गया। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के क्वीन मेरी अस्पताल के रैन बसेरा में जुड़वा बच्चियों को छोड़ कर जाते देखा तो तीमारदारों ने परिजनों को उन्हें साथ ले जाने के लिए कहा, परन्तु बाराबंकी निवासी पिता उमाकांत ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि अब इनसे मेरा कोई नाता नहीं है। रोते बिलखते बच्चियों को देख लोगों ने स्वयं सेवी संस्था को फोन कर दिया, संस्था के सदस्यों ने क्वीन मेरी पहंुच कर दो जुड़वा बच्चियों को केजीएमयू के ट्रामा सेंटर के बाल रोग विभाग में भर्ती कराया गया। इस बीच दोनों बच्चियों को लिए हुए मामी आैर मौसी गायब हो गयी। जब तलाशा गया तो पता चला कि उमाकांत के साथ सुमन का शव लेकर बाराबंकी जा चुकी थी। एनआईसीयू में भर्ती दोनों जुड़वा बच्चियों की हालत गम्भीर बनी हुई है।

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बाराबंकी के पचासा गांव निवासी उमाकांत पत्नी सुमन ने स्थानीय अस्पताल में जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया था। प्रसव के बाद उसकी हालत तेजी से बिगड़ने लगी तो डाक्टरों ने खून की कमी बताते हुए उसे क्वीन मेरी अस्पताल रेफर कर दिया। बीतीरात परिजनों ने क्वीन मेरी अस्पताल में भर्ती कराया आैर इलाज शुरु हो गया। यहां के डाक्टरों ने खून की कमी बताते हुए हालत काफी गंभीर बतायी। बीतीरात करीब तीन बजे के आस- पास सुमन की हालत तेजी से बिगड़ी आैर मौत हो गयी। बताते है कि इस दौरान दो जुड़वा बच्चियों को परिजन लिए हुए रैन बसेरा में बैठे रहे। जब कि इन दोनों को बच्चियों को जांच के लिए डाक्टर के पास ले जाना चाहिए था। किसी तरह सुबह हुई तो पति उमाकांत पत्नी सुमन के शव को ले जाने लगा आैर दोनों जुड़वा बच्चियों को ले जाने को तैयार नहीं था। साथ में आयी हुई मामी आैर मौसी भी दोनों बच्चियों को सम्हाले हुई थी।

इस बीच सूचना पाकर मौके पर पहुंचे दिव्य फाउडेंशन के दीपक आैर वर्षा ने जुड़वा बच्चियों की बिगड़ती हालत को देखते हुए ट्रामा सेंटर के बाल रठ्ठोग विभाग में भर्ती कराया। जहां पर बच्चियों की हालत खराब देख उन्हें एनआईसीयू में भर्ती कर दिया गया। इस बीच फाउडेंशन के इलाज में बिजी थे आैर मामी आैर मौसी वहां निकल कर उमाकांत के साथ शव लेकर बाराबंकी चली गयी। प्रत्यक्षदर्शियों कहना है कि उमाकांत पत्नी की मौत के बाद परिजनों से कह रहा था कि इन दोनों बच्चियों को नहीं ले जाएंगे। उसके पहले ही एक बेटा व बेटी है। उसकी तबियत भी सही नहीं रहती है। परिजनों के भाग जाने पर डाक्टरों ने इलाज जिम्मेदारी दीपक महाजन को सौप दी। दीपक ने प्रागनारायण रोड स्थित चाइल्ड वेलफेयर को जानकारी दी तो वहां से मोती नगर के लीलावती बाल सदन को दोनों बच्चियों की जिम्मेदारी सौप दी गयी। अब इलाज के दौरान वही कोई तैनात रहेंगा। क्वीन मेरी प्रशासन उमाकांत से बीएचटी पर दिये गये फोन नम्बर पर सम्पर्क करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन फोन उठ नहीं रहा था।

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