लखनऊ गोमती नगर स्थित मेयो मेडिकल सेन्टर ने दो दिन की मासूम को जीवनदान दिया। इनफैंट हाइपोक्सिक इस्केमिक एन्सेफैलोपैथी (Hypoxic-Ischemic Encephalopathy HIE) से ग्रसित बच्ची को गंभीर हालत में अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा यूनिट NICU में भर्ती किया गया था। अत्याधुनिक उपकरणों से युक्त NICU में बाल रोग विषेशज्ञों की टीम व कुशल नर्सिंग स्टाफ की देखभाल के बाद अंततः नवजात ने मौत को पीछे छोड़ कर जीवन पर विजय हासिल की।
31 दिसम्बर 2018 को बस्ती निवासी श्रीमती अनीता ने स्थानीय एक अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया। जन्म समय बच्ची रोई नहीं। विषेशज्ञों के अनुसार जन्म लेते ही शिशु का रोना बहुत ही जरूरी है। रोने से ही शिशु के फेफड़े काम करना शुरू कर देते है जिससे शिशु के मस्तिष्क के साथ से पूरे शरीर में ऑक्सीजन युक्त ब्लड की सप्लाई शुरू हो जाती है। इसमें सबसे अहम होता है मस्तित्क को ऑक्सीजन मिलना। ऑक्सीजन तत्काल न मिलने से मस्तित्क में विकार आ जाता है और शिशु के जीवन पर संकट बन जाता है। फेफड़े काम न करने से शिशु ठीक से सांस भी नहीं ले पाता है।
बस्ती में डाक्टरों ने शिशु को बचाने में असमर्थता जताते हुए उसे HIGHER CENTRE भेज दिया था। दो दिन की बच्ची (बेबी ऑफ़ अनीता) को इसी गंभीर हालत में अस्पताल के NICU में भर्ती कराया गया था। ब्रेन को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने के कारण नवजात को झटके (ग्रेड-3) आने लगे थे। अत्याधुनिक उपकरणों से युक्त NICU में शिशु को वेंटीलेटर पर रख कर इलाज शुरू किया गया। 24 धंटे कुशल विषेशज्ञों की देखरेख में अंततः मासूम ने मौत को पीछे कर आंखे खोल दी। 15 दिन के अथक प्रयास के बाद शिशु को झटके आने भी बंद हो गये और अब शिशु खुद से सांस लेने में समर्थ है।
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