लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के 114 स्थापना दिवस पर गोल्ड , सिल्वर मेडल प्राप्त करने वाले मेधावी मेडिकोज अपने आप को गौरवान्वित महसूस करने के साथ ही जार्जियन बनने की खुशी से लबरेज थे। मेधावियों ने बातचीत में मुकाम पर पहुंचने के लिए साथ ही आगे पढ़ाई के बारे में बताया। एमबीबीएस की हिमांशी गोयल ने बताया कि दो साल में ही पिता की एक्सीडेंट में मौत के बाद उसकी मां ने ही उसको इस क ाबिल बनाया कि वह इस मुकाम पर है। उसको यहां तक पहुंचने में मामा व नानी की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
अब आगे की पढ़ाई में कार्डियक सर्जन बनना चाहती है। एमबीबीएस के शुभभ जैन ने तीन गोल्ड व सिल्वर मेडल मिलने के बाद बहुत खुश है। उन्होंने बताया कि पढाई के लिए कोई खास प्लान नहीं बनाया। क्लासेज व नोट्स को ध्यान से पढ़ने के लिए समय निकाला। परिजनों का भी काफी सपोर्ट रहा। उन्होंंने बताया कि आगरा निवासी होने के साथ ही उनके पिता भी पैथालॉजी विभाग से जुड़े है। उनका कहना है कि मेडिसिन में एमडी करने के बाद डीएम न्यूरोलॉजी से करके न्यूरोफीजियन बनने की तन्नना है।
बीडीएस की गुंजन मेहता ने तीन गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद एमडीएस करके सरकारी अस्पताल में मरीजों का इलाज करना चाहती है। इसके बाद चिकित्सा शिक्षक भी बनना चाहती है। गाजियाबाद निवासी गुंजन का कहना है कि पढ़ाई के दौरान उन्होंने पाया कि अभी लोग दांतों की बीमारियों के प्रति अभी लोगों में भ्रामक जानकारी है।
बीडीएस में दो सिल्वर मेडल प्राप्त करने के बाद आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती है। वह डेंटल सर्जन बनना चाहती है। उनका कहना है कि अभी भी अच्छे डेंटल सर्जन की कमी है आैर डेंटल की विभिन्न विद्याओं में अभी काफी स्कोप है।
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