लखनऊ – प्राइमरी पाठशाला, रसूलपुर की क्लास 2 छात्रा राधा आज अपनी मम्मी को कुछ बताने को बेताब थी. स्कूल से छूटने के बाद आपने साथियों से बार-बार यही कह रही थी कि मैं तो यह अपनी मम्मी को जरूर बताउंगी. इस बीच उसका घर आ गया और मम्मी को देखते ही मम्मी…मम्मी आज मास्टर जी ने दवाई खिलाई कहकर गोदी में लिपट गई. दवाई का नाम सुनते ही मम्मी घबरा गईं. उनके क्या के सवाल पर संगीता एक सांस में यह बताती जा रही थी कि नंगे पांव चलने से और गंदे हाथ खाना खाने से हमारे पेट में कीड़े पैदा हो जाते हैं.
जो हमारे शारीरिक और मानसिक विकास में बाधक हो सकते हैं. इसलिए मास्टर जी ने हम सबको पेट से कीड़े बाहर निकालने की दवा खिलाई. मम्मी भी पूरी बात सुनने के बाद बोलीं दवा खाने से कुछ हुआ तो नहीं. संगीता ने बताया कि गोली का स्वाद आम की तरह था. मास्टर जी ने कहा था कि गोली खूब चबा चबाकर खाना…पर मेरा मन तो और खाने का कर रहा था.
वहीं सेंट्रल स्कूल के 5वीं के छात्र शाश्वत ने अपने पापा को बताया कि आने वाले 17 अगस्त को छोटे भाई को स्कूल जरूर जाना है क्योंकि आज क्लास टीचर ने डीवोर्मिंग की दवा खिलाई है जो बच्चे छूट गये हैं उनको इस फ्राइडे को खिलाई जाएगी. पापा के सवाल पर शाश्वत ने बताया कि टेबलेट का टेस्ट वनीला आइसक्रीम जैसा था.
करोड़ों बच्चों ने खाई एल्बेंडोजोल
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर उत्तर प्रदेश में आज पहली बार सभी 75 जिलों में पेट से कीड़े बाहर निकालने की दवा खिलाई गई. वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का दावा किया है कि प्रदेशभर में पूरा अभियान सफल रहा है. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के महाप्रबंधक डॉक्टर हरिओम दीक्षित ने बताया कि जो बच्चे छूट गए हैं उनको इस 17 अगस्त यानि शुक्रवार को यह दवा खिलाई जाएगी.
उन्होंने बताया कि एक से दो साल तक के बच्चों को अल्बेंडाजोल की आधी गोली और दो साल से ऊपर के बच्चों को एल्बेंडाजोल की पूरी गोली दी गई. इसके लिए एक से 19 वर्ष तक के 7 करोड़ 9 लाख बच्चों को एल्बेंडोजोल की गोली खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जिसमें काफी कुछ सफलता मिली है. उन्होंने शिक्षा समेत 11 विभागों के अधिकारियों को इस मुहिम में मदद देने के लिए धन्यवाद भी दिया है.
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