लखनऊ। डाइबिटीज में टाइप टू के मरीजों की डाइबिटीज ठीक की जा सकती है, परन्तु बढ़ती आरामतलबी जीवन सेहत पर भारी पड़ रहा है। इससे न सिर्फ मोटापा बढ़ रहा है ,बल्कि डायबिटिज के मरीज भी इस कारण तेजी से हो रहा है। विश्व डायबिटिज दिवस पर यह जानकारी केजीएमयू के डा. नरसिंह वर्मा ने दी। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि अव्यस्थित जीवनशैली, मोटापा और हॉर्मोनल असंतुलन के कारण डायबिटीज होती है।
उन्होंने बताया लाइफस्टाइल तो बदल गई, मगर खानपान नहीं बदला। पहले पैदल चलते थे, अब गाड़ी है। सीढ़ियां चढ़ते थे तो लि ट मिल गई है, टेक्नोलॉजी ने घरेलू काम आसान कर दिए। यही नहीं खेल के मैदान की जगह टीवी, कंप्यूटर व लैपटॉप आ गए। लोग मेहनत करके पसीने से लथपथ नही मिलते है। बदलते परिवेश में घर से लेकर ऑफिस तक वातानुकूलित माहौल में काम होता है। आराम तलबी के कारण लोगों को डाइबिटीज हो रही है। इस मौके पर मौजूद डा. अनुज महेश्ववरी ने बताया कि डायबिटीज दो तरह की होती है, टाइप वन और टाइप टू।
टाइप वन सामान्य तौर पर बच्चों को होती है जबकि 80 फीसद लोग टाइप टू डायबिटीज से पीड़ित है । हर दो में से एक व्यक्ति को पता ही नहीं होता कि वह डायबिटिक है। वहीं देश में डायबिटीज के लगभग 90 फीसद मरीज ऐसे हैं, जिनका वजन सामान्य से ज्यादा है और जिनका पैंक्रीयस ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा है। व्यायाम और दवाओं से शुगर को नियंत्रति किया जाता है।
ऐसे कर सकते है बचाव
– माता- पिता में किसी को शुगर है तो बच्चे की भी शुगर जांच अवश्य करायें।
– गर्भावस्था में यदि मां को शुगर हो तो बच्चे के जन्म के बाद हर वर्ष उसकी जांच करायें।
– मोटापे से बचें, वजन नियंत्रित रखें।
– जीवनशैली बदलें और मानसिक तनाव व दबाव से मुक्त रहें।
– रोज 45 मिनट की सैर और हल्का व्यायाम करें।
– फास्ट-जंक फूड न खायें। तैलीय पदार्थ न लें। घी, तेल व बटर का प्रयोग कम करें।
– फुल क्रीम दूध के बजाय छाछ व दही का सेवन बढ़ाये।
– रोजमर्रा की डाइट में हरी पत्तीदार व रेशेदार सब्जियां जैसे- मेथी, पालक, सरसों, लहसुन, छिलके वाली दालें, चोकरयुक्त आटे की रोटियां और ओट्स का सेवन अधिक करें।
– मिठाई, चीनी, आलू, चावल व मैदा का सेवन बेहद सीमित मात्रा में करें।
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