लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में ज्यादा होती है रीढ़ की हड्डी में वकृति: डॉ.सुनील बिसेन

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लखनऊ। रीढ़ की हड्डी में विकृति से शारीरिक,मानसिक व सामाजिक कष्टï झेल रहे लोगों  के लिए राहत भरी खबर है,अब उन्हें इसके इलाज के लिए मुम्बई,दिल्ली व चेन्नई नहीं जाना पड़ेगा साथ ही इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा। रीढ़ की हड्डी में विकृति का इलाज अब प्रदेश की राजधानी स्थित हेल्थसिटी अस्पताल के स्पाइनल एवं न्यूरो सर्जन डॉ.सुनील बिसेन द्वारा किया जा रहा है। डॉ.सूनीन बिसेन ने २०१२ में इस तरह की पहली सर्जरी की थी। इसके बाद उन्होंने १४ बच्चों का सफलता पूर्वक इलाज कर स्कोलियोसिस समस्या से छुटकारा दिलाया है।

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डॉ.सुनील बिसेन ने बताया कि रीढ़ की हड् डी में विकृति की समस्या ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलती है। इससे शरीर में टेढ़ापन हो जाता है। जिसे कूबड़ भी कहा जाता है। इस विकृति को स्कोलियोसिस कहा जाता है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर यह बीमारी १० से १३ साल की लड़कियों में शुरू होती है। जबकि लड़कों में यह समस्या कम देखने को मिलती है। यह बीमारी शुरू होने पर करीब २ डिग्री प्रतिवर्ष की रफ्तार से बढ़ती है। जब रीढ़ की हड् डी ४५ डिग्री से ज्यादा टेढ़ी हो जाती है। तब इसमें आपरेशन की आवश्यकता होती है।

उन्होंने बताया कि स्कोलियोसिस उन मरीजों में ज्यादा देखने को मिलता है,जिनमें मारफांस सिंड्रोम नामर अनुवांशिक बीमारी होती है।  जिससे शरीर के  कोलाजिन क्रॉस लिंकिंग में दोष होता है।

इस बीमारी से ग्रसित लोग दुबले पतले व उनके हाथ पैर की उंगलियां लम्बी होती हैं। उनके रीढ़,दिल व आंखे,जोड़,सीने आदि में विकृत पायी जाती है। इन मरीजों में ऑपरेशन की जरूरत बहुत कम उम्र में पड़ जाती है।

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